Diwali Health Tips by उत्तम माहेश्वरी जी।
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1. धूल-धुँए के प्रदूषण से बचने के लिए रोज नाक में *देशी गाय* के बिलौने के घी की बूंदें डालें। जिन्हें एलर्जी है, उनके लिए यह *रामबाण इलाज* है।
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2. महानगरों के लोग पटाखे न फोड़ें, यह प्रदूषित महानगर में रहने की सजा है। पटाखों का आनंद लेना हो तो गाँव जाएँ। *चीनी (जहरीले) पटाखे न फोड़े*।
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3. पेट्रोकेमिकल से बनी मोमबत्ती, Refined oil के दीये न जलायें। *तिल के तेल के दीये जलाना सर्वश्रेष्ठ।* तिल का तेल प्रदूषण नष्ट कर वायु को शुद्ध करता है।
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4. पारंपरिक *मिट्टी के दीपक ही जलायें*, केमिकल से रंगे दीपक नहीं।
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5. गोवत्स द्वादशी के दिन देशी गाय-बछड़े की पूजा से दिवाली पूजा शुरू करें। गाय-बछड़े की 108 परिक्रमा से *–ve energy* (थकान, चिड़चिड़ापन, नकारात्मक विचार, डिप्रेशन.....) कम होती है, *+VE ENERGY* (स्फूर्ति, प्रसन्नता, आशा, उत्साह.....) बढ़ती है; गर्भस्राव miscarriage नहीं होता; गर्भस्थ शिशु को लाभ होता है .....
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6. धन तेरस वास्तव में *धन्वंतरि तेरस* है। इस दिन आयुर्वेद के भगवान धन्वंतरि धरती पर स्वर्ण कलश में अमृत लाये थे। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। यह *अमृत खरीदने का दिन* है। नासमझ लोग धन तेरस पर अमृत छोड़कर केवल सोना घर ले आते हैं। देशी गाय के घी-गोबर-गोमूत्र में सोना है। जब पूरा बाजार केमिकल के जहर से भरा हो, 99% घी घटिया हो तब देशी गाय के गोबर से उगा अन्न व घी साक्षात् अमृत है। धन तेरस पर *देशी गाय* का घी अवश्य खरीदें।
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7. रूप चतुर्दशी (छोटी दिवाली) के दिन शरीर पर अंगराग (गोबर की राख से बना यानी स्वर्ण भस्म युक्त) लगाकर स्नान करने से *चर्म रोगों से बचाव* होता ही है, बहुत से *रक्त दोष भी दूर* होते हैं।
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8. दिवाली के दिन *मुख्य दीपक देशी गाय के घी का जलायें*। इससे पूरा घर प्राणशक्ति (+ve energy) से भर जायेगा।
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9. दिवाली पर मिठाई अवश्य खायें। आयुर्वेद के अनुसार *मधुर रस रसों का राजा, तृप्तिदायक व अत्यंत पौष्टिक है*। लेकिन शुगर मिल की शक्कर मीठी होने पर भी रस की दृष्टि से मधुर नहीं, कड़वी है व रोगकारक है। मिल की शक्कर से बनी मिठाई न खायें। *Dry fruits व इसकी मिठाई न खायें।* इससे पित्त के रोग बढ़ेंगे। Dry fruits कार्तिक पूर्णिमा से खायें। *चांदी का वर्क लगी मिठाई न खायें* (90% वर्क एल्युमिनियम की होने से जहर हैं, शुद्ध चांदी का वर्क कत्लखाने से खरीदी गाय की आँत से बनता है)। इनकी जगह श्रेष्ठ मधुर रस अर्थात् *देशी गाय* के दूध-घी से बनी व केमिकल फ्री शक्कर से बनी मिठाइयाँ खायें। इनसे पित्त शांत रहेगा।
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1. धूल-धुँए के प्रदूषण से बचने के लिए रोज नाक में *देशी गाय* के बिलौने के घी की बूंदें डालें। जिन्हें एलर्जी है, उनके लिए यह *रामबाण इलाज* है।
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2. महानगरों के लोग पटाखे न फोड़ें, यह प्रदूषित महानगर में रहने की सजा है। पटाखों का आनंद लेना हो तो गाँव जाएँ। *चीनी (जहरीले) पटाखे न फोड़े*।
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3. पेट्रोकेमिकल से बनी मोमबत्ती, Refined oil के दीये न जलायें। *तिल के तेल के दीये जलाना सर्वश्रेष्ठ।* तिल का तेल प्रदूषण नष्ट कर वायु को शुद्ध करता है।
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4. पारंपरिक *मिट्टी के दीपक ही जलायें*, केमिकल से रंगे दीपक नहीं।
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5. गोवत्स द्वादशी के दिन देशी गाय-बछड़े की पूजा से दिवाली पूजा शुरू करें। गाय-बछड़े की 108 परिक्रमा से *–ve energy* (थकान, चिड़चिड़ापन, नकारात्मक विचार, डिप्रेशन.....) कम होती है, *+VE ENERGY* (स्फूर्ति, प्रसन्नता, आशा, उत्साह.....) बढ़ती है; गर्भस्राव miscarriage नहीं होता; गर्भस्थ शिशु को लाभ होता है .....
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6. धन तेरस वास्तव में *धन्वंतरि तेरस* है। इस दिन आयुर्वेद के भगवान धन्वंतरि धरती पर स्वर्ण कलश में अमृत लाये थे। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। यह *अमृत खरीदने का दिन* है। नासमझ लोग धन तेरस पर अमृत छोड़कर केवल सोना घर ले आते हैं। देशी गाय के घी-गोबर-गोमूत्र में सोना है। जब पूरा बाजार केमिकल के जहर से भरा हो, 99% घी घटिया हो तब देशी गाय के गोबर से उगा अन्न व घी साक्षात् अमृत है। धन तेरस पर *देशी गाय* का घी अवश्य खरीदें।
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7. रूप चतुर्दशी (छोटी दिवाली) के दिन शरीर पर अंगराग (गोबर की राख से बना यानी स्वर्ण भस्म युक्त) लगाकर स्नान करने से *चर्म रोगों से बचाव* होता ही है, बहुत से *रक्त दोष भी दूर* होते हैं।
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8. दिवाली के दिन *मुख्य दीपक देशी गाय के घी का जलायें*। इससे पूरा घर प्राणशक्ति (+ve energy) से भर जायेगा।
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9. दिवाली पर मिठाई अवश्य खायें। आयुर्वेद के अनुसार *मधुर रस रसों का राजा, तृप्तिदायक व अत्यंत पौष्टिक है*। लेकिन शुगर मिल की शक्कर मीठी होने पर भी रस की दृष्टि से मधुर नहीं, कड़वी है व रोगकारक है। मिल की शक्कर से बनी मिठाई न खायें। *Dry fruits व इसकी मिठाई न खायें।* इससे पित्त के रोग बढ़ेंगे। Dry fruits कार्तिक पूर्णिमा से खायें। *चांदी का वर्क लगी मिठाई न खायें* (90% वर्क एल्युमिनियम की होने से जहर हैं, शुद्ध चांदी का वर्क कत्लखाने से खरीदी गाय की आँत से बनता है)। इनकी जगह श्रेष्ठ मधुर रस अर्थात् *देशी गाय* के दूध-घी से बनी व केमिकल फ्री शक्कर से बनी मिठाइयाँ खायें। इनसे पित्त शांत रहेगा।
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