Saturday, November 23, 2019

पारद शिवलिंग

।। ऊँ नमः शिवायः ।।
देवो के देव महादेव की महिमा अनेक शास्त्रो पुराणो मे आई हैं परंतु उनके अंश (वीर्य) पारा (मर्करी) की और मां भगवती पार्वती का अंश नीलाथोथा(कोपर सल्फेट)
को मिलाकर बनाए गए अष्ट संस्कार युक्त पारद शिवलिंग की महिमा तो 40से ज्यादा ग्रंथों में आई हैं और साक्षात् ज्योतिर्लिंग शिवस्वरूप बताए गए हैं |
इस महान लाभसे लोग वंचित थे जन सामान्य के लिए,शिवयोग के प्रणेता अवधूत बाबा शिवानंद जी ने लुप्तप्राय इस शासवत सत्य को प्रगट कर सुलभ किया, उन्ही के आशिर्वाद से, एवं दानी धर्मात्मा सज्जनों के सहयोग से,आदरणीय माता पिता की प्रेरणा से एवं सभी ग्राम वा क्षेत्रवासियों, भगवत जनों के सहयोग से हरिओम कुटी बरेठ में जेष्ठ शुक्ल सोमवती अमावस्या 3 जून 2019 के पवित्र अवसर पर बरेठ वा क्षेत्र के गौरव परम आदरणीय श्रद्धेय भजना नंदी संत महंत, परम पूज्य रामप्रिय दासजी महाराज श्रीमहंत मेहंदी बाग झांसी एवं अयोध्या के कर कमलों से, एवं स्वामी गौरदासजी जी महाराज वृंदावन, हरिओमदास बृहम्चारीजी, पं॰ अनिल चतुर्वेदी, एवं सात सापत्नि यजमानकी पावन सानिध्य में पारदेश्वर महादेव की स्थापना हुई।
 हरिओम कुटी बरेठ में अपन सभी को यह शौभाग्य मिल रहा है। प्रदेश ही नहीं पूरे भारतदेश के कई प्रदेशो/जिलों में शिव स्वरूप पारदेश्वर के दर्शन पुजन से भक्त जन बंचित हैं।
यह दुर्लभ शिवजी सब भक्तों के हैं, कोई भी समाज के स्त्री पुरुष छुआछूत के अभिश्राप से रहित,इनके दर्शन पुजन से लाभ ले सकते हैं। इनकी सांन्निध में यहां कथा, प्रबचन,यज्ञ हवन, भोज भंडारा, के अलावा 10संस्कार-शादी-विवाह, जन्मदिवस,पुंसवन,नामकरण,अन्नप्रासन,मुंडन,विद्यारंभ, यज्ञोपवीत, वानप्रस्थ,श्रादृतर्पण, आदि भी समय परिस्थिति अनुसार किए कराएं जा सक्ते हैं।

प्राचीन संतों ग्रंथो के अनुसार चूँकि पारा एक तरल पदार्थ सप्तधातुओं में से एक होता है और इसे ठोस रूप में लाने के लिए विभिन्न संस्कार जड़ी-बूटियों का मंत्रो का प्रयोग किया जाता हैं तब दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर शिवलिंग रूप में प्रगट होते हैं।
पारदसंहिंता में आता हैं

लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यग्दर्शन।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्धनाद् भवेत् ।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्या: शतानि च।
तत्क्षणद्विल्यन्तति रसलिंगस्य दर्शनात् ।।
”अनेकों प्रकार के हजारो लिंगो का विधिपूर्वक पूजन करने से जो फल उत्पन्न होता है उस फल के करोड़ो गुना फल पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है।
“शिवपुराण में आता हैं :-
गोध्नाश्चैव कृतघ्नाश्चैव वीरहा भ्रूणहापि वा
शरणागतघातीच मित्रविश्रम्भघातकः।
दुष्टपापसमाचारी मातृपितृप्रहापिवा
अर्चनात रसलिङ्गेन् तक्तत्पापात प्रमुच्यते ।।
अर्थात् गौ का हत्यारा , कृतघ्न , वीरघती गर्भस्थ शिशु का हत्यारा, शरणगत का हत्यारा, मित्रघाती, विश्वासघाती, दुष्ट, पापी अथवा माता-पिता को मारने वाला भी यदि पारद शिवलिंग की पूजन करता है तो वह भी तुरंत सभी पापों से मुक्त हो जाता है |(पापों गलतियो की क्षमा मागै प्रायासचित वा सेवा करें,आगे ना करने का संकल्प करें)
ब्रम्हपुराण में आता हैं :-
धन्यास्ते पुरुषः लोके येSर्चयन्ति रसेश्वरं |
सर्वपापहरं देवं सर्वकामफलप्रदम्॥
अर्थात् संसार में वे मनुष्य धन्य हैं जो समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा समस्त मनोवांछित फलों को प्रदान करने वाले पारद रसलिंग की पूजन करते हैं और पूर्ण भौतिक सुख प्राप्त कर परम गति को प्राप्त कर सकते हैं।

वायवीय संहिता में आता हैं :-

आयुरारोग्यमैश्वर्यं यच्चान्यदपि वाञ्छितं,
रसलिन्गाचर्णदिष्टं सर्वतो लभतेऽनरः।।

अर्थात् आयु आरोग्य ऐश्वर्य तथा और जो भी मनोवांछित वस्तुएं हैं उन सबको पारद शिवलिंग की पूजा से सहज में ही प्राप्त किया जा सकता है ।
शिवनिर्णय रत्नाकर गृंथ में आता हैं :-

मृदा कोटिगुणं सवर्णम् स्वर्णात् कोटिगुणं मणे:|
मणात् कोटिगुणं त् कोटिगुणं वाणो वनत्कोतिगुनं रसः|
रसात्परतरं लिङ्गं न् भूतो न भविष्यति||

अर्थात् मिट्टी या पाषाण से करोड़ गुना अधिक फल स्वर्ण निर्मित शिवलिंग के पूजन से स्वर्ण से करोड़ो गुना अधिक मणि और मणि से करोड़ो गुना अधिक फल बाणलिंग नर्मदेश्वर से नर्मदेश्वर बाणलिंग से भी करोड़ो गुना अधिक फल पारद निर्मित शिवलिंग (रसलिंग) से प्राप्त होता है |इससे श्रेष्ठ शिवलिंग न तो संसार में हुआ है और न हो सकता है|

रसर्णवतन्त्र में आता हैं :-

धर्मार्थकाममोक्षाख्या पुरुषार्थश्चतुर्विधा:।
सिद्ध्यन्ति नात्र सन्देहो रसराजप्रसादत:।।

अर्थात जो मनुष्य पारद शिवलिंग की एक बार भी पूजन कर लेता है। उसे इस जीवन में ही धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों प्रकार के पुरुषार्थो की प्राप्ति होने लगती है। इसमें संदेह करने का लेशमात्र भी कारण नहीं है।
श्लोक:-
स्वयम्भुलिन्ग्सह्सैर्यत्फ़लम् संयगर्चनात।
तत् फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद भवेत्।।
अर्थात~ हजारों प्रसिद्ध लिंगों की पूजा से जो फल मिलता है। उससे करोड़ो गुना फल पारद निर्मित शिवलिंग (रसलिंग ) की पूजा से मिलता है।
सर्वदर्शन संग्रह गृंथ :-
अभ्रकं तव बीजं तु मम बीजं तु पारद:।
बद्धो पारद्लिङ्गोयं मृत्युदारिद्रयनाशनम् ।।
स्वयं भगवान शिवशंकर भगवती पार्वती से कहते हैं कि पारद को ठोस करके तथा लिंगाकार स्वरुप देकर जो पूजन करता है उसे जीवन में मृत्यु भय व्याप्त नहीं होता और किसी भी हालत में उसके घर दरिद्रता नहीं रहती।
ब्रह्मवैवर्त पुराण :-
पूजयेत् कालत्रयेन यावच्चन्द्रदिवाकरौ।
कृत्वालिङ्गं सकृत पूज्यं वसेत्कल्पशतं दिवि॥
प्रजावान भूमिवान विद्द्वान पुत्रबान्धववास्तथा।
ज्ञानवान् मुक्तिवान् साधु: रसलिंगार्चनाद भवेत् ॥

अर्थात् जो भी पारद शिवलिंग का विधि विधान से पूजन करते है वह जब तक सूर्य और चन्द्रमा रहते हैं तब तक शिवलोक में वास करता है तथा उसके जीवन में यश, मान, पद, प्रतिष्ठा,पुत्र, पौत्र, बन्धु-बान्धव, जमीन-जायदाद, विद्या आदि में कोई कमी नहीं रहती और अन्त में वह निश्चय ही शिवलोक प्राप्त करता है।

– श्री विद्यार्णव तन्त्रद्ध गृंथ में आता हैं
पाराप्रासाद दीक्षा च, पारदेश्वर पूजनम्।
महिम्नः स्तुतिपाठश्च, नाल्पस्य तपसः फलम्।।
पराप्रासादमन्त्रेण, रसलिंग समर्चयेत्।
षणमासाभयन्तरेणैव, सर्वशिवरोभवेत्।।

इस पारदेश्वर शिव की पूजा से पारा प्रसाद दीक्षा की प्राप्ति होती है। उनकी महिमा की स्तुति पाठ से अल्पतपस्या का फल नहीं मिलता प्रत्युत् जो फल कठिन तप से प्राप्त होता है वह फल मिलता है इसलिये साधक को उपर्युक्त मन्त्र से पारदलिंग की अर्चन-पूजन करना चाहिये। इस पूजन से छः मास के अन्दर ही सभी प्रकार की सिद्धि की प्राप्ति होने लगती है।
वाग्भट्ट के अनुसार जो व्यक्ति पारद शिवलिङ्ग का भक्तिपूर्वक पूजन करता है उसे तीनों लोकों में स्थित शिवलिङ्गो के पूजन का फल प्राप्त होता है। इसके दर्शन मात्र सैकड़ो अश्वमेघ यज्ञ, करोड़ो गोदान एवं हजारों स्वर्ण मुद्राओं के दान करने का फल मिलता है|

'रत्न समुच्चय' गृंथ  के अनुसार पारद शिवलिंग की नियमित रूप से आराधना करने पर समस्त रोगादि का नाश होता है।

-  'रसेंद्र चूड़ामणि' गृंथ  में कहा गया है कि रसलिंग (पारद शिवलिंग) के स्मरण पुजन से ही मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है।

रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की तो वहां भी पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है चूँकि रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है और इसी पारद शिवलिंग का पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण की लंका में तब्दील कर
जो शिवलिंग करोड़ों गुना अधिक फल देने वाला है ऐसे शिवलिंग का दर्शन पूजन कर हमने यदि अपना जीवन कृतार्थ नहीं किया तो हमने हाथ आये अमृत को भूमि पर बिखेरने जैसा भीषण कृत्य कर अपने आत्मबोध का अवसर गवां दिया।

कुछ ऐसा ही वर्णन बाणासुर राक्षस के लिए भी माना जाता है उसे भी पारद शिवलिंग की उपासना के तहत अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने का वर प्राप्त हुआ था।

- विशुद्ध तथा प्रबल ऊर्जावान पारद शिवलिंग का मात्र दर्शन करने वाला व्यक्ति कल्याणप्रद धर्म को प्राप्त होता है।

-  विशेष शास्त्रीय तथा तंत्रोक्त विधियों से बद्ध पारद द्वारा निर्मित शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना करने वाला मनुष्य इस भौतिक जगत में प्रत्येक मनोवांछित वस्तु प्राप्त कर लेता है।
 पारद शिवलिंग का जिस घर में नित्य पूजन होता है ,वहा सभी प्रकार के लौकिक-पारलौकिक सुखो की सहज प्राप्ति होती है। पारद शिवलिंग आध्यात्मिक तथा भौतिक पूर्णता को साकार करने में पूर्ण समर्थ है। प्राचीनकाल से ही देव,दानव, मानव, गन्धर्व, किन्नर सभी ने महोदव को अपनी साधना ,एवं तपस्या से प्रसन्न कर श्रेठता को प्राप्त किया ,एवं काल को अपने वश में कर संसार में अजेय होकर अपनी विजय पताका फहराई।
आदिदेव महादेव ही ,ऐसे दयालु हैं जो भक्त के दोषो को अनदेखा करते हुए अल्पायु मानव को अमरत्व का वरदान प्रदान कर देते हैं।
ब्रह्मा के लेख के विरुद्ध जो अदेय है, उसे भी महादेव सहज में ही दे देते हैं।

ऐसे आदि देव महादेव का प्रत्यक्ष रुप पारद शिवलिंग की प्राप्ति अत्यधिक दुर्लभ हैं ।
 प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है।पारद शिवलिंग की पूजा करने से आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य तथा अन्य मनोवांछित वस्तुओं की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।

चार किलो रुद्राभिषिक्त जल में 250 ग्राम नमक डालकर उबालें। जब पानी चौथाई रह जाए तो उससे पीड़ायुक्त स्थानों की सिकाई करनें से कुछ ही दिनों में हाथ-पैरों-कमर का दर्द दूर हो जाता हैं।
 प्रतिदिन प्रात:काल ताम्रपात्र में रखा खाली पेट सवा किलो रुद्राभिषिक्त जल के साथ दो चम्मच त्रिफला चूर्ण खाने से बुढ़ापा दूर रहता हैं तथा सभी पेटरोग कब्ज,अजीणऺ,गैस,मौटापा, संबंधी विकार दूर होते यौवन बना रहता हैं

 गर्भावस्था के आठवें एवं नौवें माह में स्त्री को प्रतिदिन रुद्राभिषिक्त जल पिलाने से सुखपूर्वक प्रसव होता है।
गभ्रपात से बचने या गभ्रग्रोथ ना होने पर सबामाह ताजा दुहा गायका दूध प्राता अभिषेक करके पीने से  गभाॉवस्था संबंधी विकार दूर होते हैं।

 हृदय,बी,पी,रोगी को रुद्राभिषिक्त जल ताम्रपात्र में रूदाक्ष डालकर रखा जल पिलाने तथा उसके सीने पर वही जल लगाने से हृदयाघात की संभावना दूर हो जाती है।
पारद शिवलिंग पर तीर्थ जल द्वारा वा पंचगव्य द्वारा रुद्राभिषेक कराकर उस जल से लकवा के रोगी को स्नान कराने तथा पिलाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर होने लगता हैं।

पारद शिवलिंग के रुद्राभिषिक्त जल वा पंचगव्य द्वारा ब्लड कैंसर के रोगी को पिलाने स्नान कराने और नित्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से काफी लाभ होता है।

पारद शिवलिंग के रुद्राभिषिक्त जल से क्षय रोगी को नहलाएं, वही जल पिलाएं तथा 40 दिनों तक भगवान पारदेश्वर को 4-4 अमरूद चढ़ाकर रोगी को खिलाएं। क्षय रोग दूर हो जाएगा।
शिवजी को अर्पित दो विल्वपत्त (6पत्ते) रोज खाने से वातरोगों का समन होता हैं
सालम मिश्री (कुंजे वाली) 3 माशा और मूसली 13 मासा दोनों को पीसकर आधा किलो दूध में डालकर खीर बनाएं। फिर पारद शिवलिंग को भोग लगाकर इसका सेवन करने से नपुंसकता का निवारण होता है।

अगर कोई को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।

 अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक हुआ ताज़ी छाछ वा तुलसीदल पिलाने से वह ठीक होने लगता है।
गरूड़ पुराण में पारद शिवलिंग को वरदायक  कहा है। इसकी पूजा करने से धन, असीम ज्ञान व प्राप्तश्वर्य प्राप्त होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार रावण ने भी पारद शिवलिंग के निर्माण और उसकी पूजा उपासना कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। उसी प्रसाद से अमर अजेय हुआ था

सभी शिवलिंगों मे नर्मदा नदी से स्वयंभू निर्मित नर्मदेस्वर की महिमा भी अनन्य मानी गयी हैं | परंतु पारा शिवअंश होने के कारण शिव स्वरूप हैं इसलिए पारद को रसराज कहा जाता है। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप है इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता है और हर मनोकामना पूरी होती है।
पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है। पारा की उत्पत्ति भगवान शंकर के वीर्य से हुई मानी जाती है इसीलिए धर्मशास्त्रों में इसे साक्षात् शिव माना गया है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध होती है।
पारदलिंग का दर्शन महापुण्य दाता है। इसके दर्शन से सैकड़ों अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है। जिस जगह पारद शिवलिंग की नियमित पूजन होती है, वहाँ सभी प्रकार के लौकिक और पारलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है। किसी भी प्रकार की कमी उस घर में नहीं होती, क्योंकि वहाँ लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा वहाँ का वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है। प्रत्येक सोमवार को पारद शिवलिंग का अभिषेक-पूजन करने से तांत्रिक प्रयोग नष्ट हो जाते हैं।

पारद शिव लिंग के नियमित पूजन से आप के घर के समस्त वास्तु दोष-ज़मीन के नीचे के दोष-तांत्रिक बंधन से मुक्ति-शांति-समृद्धि-धन-संपत्ति -यश-कीर्ति -विवाह बाधा से मुक्ति-सुख की प्राप्ति होती है तथा असाध्य रोगो से भी मुक्ति मिल जाती है
                                                                                                                                     
 जिस घर में पारद शिवलिंग होता है, उस घर की अनेक पीढिय़ों को ऋद्धि-सिद्धि और स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

 जो साधक अपने घर में पारद शिवलिंग का नित्य दर्शन-पूजन करता है, वह सभी पापों से मुक्त होकर अनेक सिद्धियां और धन-धान्य प्राप्त कर पूर्ण सुख भोगता है।

प्राचीन तांत्रिक ग्रंथो के अनुसार चूँकि पारद एक तरल पदार्थ सप्तधातुओं में से एक होता है और इसे ठोस रूप में लाने के लिए विभिन्न संस्कार जड़ी-बूटियों का मंत्रो का प्रयोग किया जाता हैं तब दोनों के समन्वय से शिव और शक्ति का सशक्त रूप उभर कर शिवलिंग रूप में प्रगट होता हैं।
आपको जीवन में कष्टों से मुक्ति नहीं मिल रही हो और हर तरफ से निराश हो या फिर बीमारियों से आप ग्रस्त रहते हों या फिर लोग आपसे विश्वासघात कर देते हों या बड़ी-बड़ी बीमारियों से ग्रस्त हों तो पारद के शिवलिंग को यथाविधि शिव परिवार के साथ पूजन करना चाहिए

अगर आपके घर में हमेशा अशांति, क्लेश आदि बना रहता हो अगर आप को नींद ठीक से नहीं आती हो, घर के सदस्यों में अहंकार का टकराव और वैचारिक मतभेद बना रहता हो तो आपको पारद निर्मित एक कटोरी में जल डाल कर घर के मध्य भाग में रखना चाहिए तथा उस जल को रोज़ बाहर किसी गमले में डाल दें-ऐसा करने से धीरे-धीरे घर में सदस्यों के बीच में प्रेम बढ़ना शुरू हो जाएगा और मानसिक शान्ति की अनुभूति भी होगी।
शिवलिंग भगवान शिव का साक्षात् विग्रह है। शिवलिंग को सोना, चांदी, तांबा, पारद आदि विभिन्न पदार्थों से बनाकर इसका पूजन-अर्चन किया जाता है, लेकिन इनमें से पारद शिवलिंग को विशेष महत्ता प्राप्त है। शास्त्रों में पारद शिवलिंग की अपार महिमा का वर्णन है। कहा गया है कि करोड़ों शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है, उससे भी करोड़ों गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की पूजा-दर्शन से ही प्राप्त हो जाता है। हजारों ब्रह्म हत्याओं और सैकड़ों गौ हत्याओं के पाप पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही दूर हो जाते हैं। इसके स्पर्श से जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं इसकी पूजा-अर्चना से दैहिक, दैविक और भौतिक प्रगति होती है। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसे ही चमत्कारी पारद शिवलिंग के कुछ प्रमुख प्रयोग ।

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