आप सभीको गोवर्धन पूजा व गिरिराज महाराज के प्राकट्य दिवस के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
गोवर्धन का क्या अर्थ हैं - गायों का वर्धन ( बढाना) यानी गायों का संवर्धन हो, भारतीय देशी गायें फलें फूलें व उनकी रक्छा हो, दूसरा अर्थ - गोबर और धन से बना हैं, मतलब भारतीय देशी गाय का गोबर धन का ही रूप हैं और मूलतः लक्षमी ही हैं इसलिए शास्त्रों में कहा गया हैं की गोमय वसते लक्मि, बस कोई उसको कोई प्रयोग करने वाला हो,
देशी गौमाता के गौमय के कुछ औषधि प्रयोग
लकवा होने पर ताजा गौमय को गुनगुने पानी में बाल्टी में घोलकर उस मरीज को बन्द कमरे में नहला दें, लकवा पूर्ण रूप से ठीक होगा !!
दमा अस्थमा,एलर्जी, सूखी खांसी, नजला, आखों से पानी आना, ब्रेन ट्यूमर, लकवा, दिमाग की कमजोरी, ब्रेन में क्लॉट होना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, नींद नही आना आदि के लिए नशिका घृत (जो पंचगव्य बैध द्वारा निर्मित हो) या सिर्फ घी जो दही से मथकर निकला हो को रात को 3/3 बूंद नाक में डालने से ये सारी बीमारियां ठीक होती हैं
गौमय का 25-30 ग्राम रस निकालकर, किसी भी सजेरियन आपरेशन से पहले पिलाने से आपरेशन टल जाता हैं, इसकी सही व पूरी विधि के लिए किसी गौ चिकित्सक से सम्पर्क करें, 250 गोबर से अगर 25 ग्राम रस निकला और इससे आपकी पत्नी,बहन या किसी भी स्त्री का आपरेशन टल गया तो सोचो सिर्फ 250 ग्राम गोमय की कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा हुई, क्योकि इससे कम तो आपरेशन शायद सम्भव भी नही हैं
स्लिप डिस्क की बीमारी में ताजा गौमय को पूरी रीढ़ की हड्डी पर गौमूत्र मिलाकर लेप कर दो, ये लेप दिन में 3 बार करना हैं और पूरे दिन लगाकर रखना हैं, रोगी को सुबह शाम 100/100 ml गौमूत्र पिलाना हैं ताजा, 7 दिनों बाद आप फर्क देख लेना,
इसलिए आओ आज गौबर्धन के अवसर पर हम और आप ये प्रतिज्ञा करें की अपने जीवन पर्यंत जब तक जियेंगे तब तक सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय का ही दूध पीएंगे और पंचगव्य से बने पदार्थो का सेवन करेंगे, भारतीय देशी गौमाता को अपने घर में लाएंगे और बोहत मजबूरी के कारण, जगह के ना होने के कारण ला नही सकते तो 5 या 10 लोग इकट्ठा होकर नजदीक के गांव में किसी ग्वाले को दूध के रोजगार जे लिए खड़ा करेंगे और दूध पियेंगे !
मेरे अनुसार गोबर्धन की यही असली पूजा होगी
जय हो गिरिराज धरण, हम तो तेरी शरण
गोवर्धन का क्या अर्थ हैं - गायों का वर्धन ( बढाना) यानी गायों का संवर्धन हो, भारतीय देशी गायें फलें फूलें व उनकी रक्छा हो, दूसरा अर्थ - गोबर और धन से बना हैं, मतलब भारतीय देशी गाय का गोबर धन का ही रूप हैं और मूलतः लक्षमी ही हैं इसलिए शास्त्रों में कहा गया हैं की गोमय वसते लक्मि, बस कोई उसको कोई प्रयोग करने वाला हो,
देशी गौमाता के गौमय के कुछ औषधि प्रयोग
लकवा होने पर ताजा गौमय को गुनगुने पानी में बाल्टी में घोलकर उस मरीज को बन्द कमरे में नहला दें, लकवा पूर्ण रूप से ठीक होगा !!
दमा अस्थमा,एलर्जी, सूखी खांसी, नजला, आखों से पानी आना, ब्रेन ट्यूमर, लकवा, दिमाग की कमजोरी, ब्रेन में क्लॉट होना, ब्लड प्रेशर का बढ़ना, नींद नही आना आदि के लिए नशिका घृत (जो पंचगव्य बैध द्वारा निर्मित हो) या सिर्फ घी जो दही से मथकर निकला हो को रात को 3/3 बूंद नाक में डालने से ये सारी बीमारियां ठीक होती हैं
गौमय का 25-30 ग्राम रस निकालकर, किसी भी सजेरियन आपरेशन से पहले पिलाने से आपरेशन टल जाता हैं, इसकी सही व पूरी विधि के लिए किसी गौ चिकित्सक से सम्पर्क करें, 250 गोबर से अगर 25 ग्राम रस निकला और इससे आपकी पत्नी,बहन या किसी भी स्त्री का आपरेशन टल गया तो सोचो सिर्फ 250 ग्राम गोमय की कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा हुई, क्योकि इससे कम तो आपरेशन शायद सम्भव भी नही हैं
स्लिप डिस्क की बीमारी में ताजा गौमय को पूरी रीढ़ की हड्डी पर गौमूत्र मिलाकर लेप कर दो, ये लेप दिन में 3 बार करना हैं और पूरे दिन लगाकर रखना हैं, रोगी को सुबह शाम 100/100 ml गौमूत्र पिलाना हैं ताजा, 7 दिनों बाद आप फर्क देख लेना,
इसलिए आओ आज गौबर्धन के अवसर पर हम और आप ये प्रतिज्ञा करें की अपने जीवन पर्यंत जब तक जियेंगे तब तक सिर्फ और सिर्फ भारतीय देशी गाय का ही दूध पीएंगे और पंचगव्य से बने पदार्थो का सेवन करेंगे, भारतीय देशी गौमाता को अपने घर में लाएंगे और बोहत मजबूरी के कारण, जगह के ना होने के कारण ला नही सकते तो 5 या 10 लोग इकट्ठा होकर नजदीक के गांव में किसी ग्वाले को दूध के रोजगार जे लिए खड़ा करेंगे और दूध पियेंगे !
मेरे अनुसार गोबर्धन की यही असली पूजा होगी
जय हो गिरिराज धरण, हम तो तेरी शरण
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