भाग 1
कोरोना या किसी भी आधुनिक वैक्सीन का मुख्य घटक
"फीटल बोवाइन सीरम"- FBS
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बार-बार यह कहने पर की कोई भी आधुनिक वैक्सीन लगवाने से शरीर दूषित और धर्म भृष्ट होता है से बहुत से लोगों को विश्वास नही होता क्योंकि आज प्रमाण का जमाना है।
लेकिन 1857 की क्रांति के मुख्य नायक महान मंगल पांडे ने कारतूस पर गाय माता की चर्बी होने के लैब टेस्ट करा कर क्रांति नही शुरू की,बस पता चला की चर्बी है तो उस घोर धर्म-पालक के लिए यही बहुत था।
आज दुर्भाग्य से हिन्दू-सनातन धर्म रक्षक कहे जाने वाले नेता-धर्म प्रचारक, धर्म गुरु वैक्सीन में गाय की चर्बी नही अपितु गाय माता के जीवित भ्रूण से निर्मम विधि से निकाले खून का प्रमाण होने पर भी मौन धारण किये हुए हैं।
"वैक्सीन सिद्धान्त: कैसे काम करती है वैक्सीन"
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किसी भी वैक्सीन को बनाने के लिए उस संक्रमित बीमारी के वायरस को छोटी मात्रा में अन्य स्वस्थ शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है,यही सूक्ष्म मात्रा का निष्क्रिय वायरस शरीर में जाता है तो शरीर इससे लड़ने के लिए एंटीबाडीज(वायरस से लड़ने वाली शरीर की शक्ति) तैयार करता है(ऐसा आधुनिक विज्ञान की मान्यता है)
वैक्सीन निर्माण: कैसे बनती है वैक्सीन
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इसी वायरस की डोज़ को तैयार करने के लिए बीमारी के वायरस की सूक्ष्म मात्रा को बनाने के लिए एक शरीर जैसा जीवंत वातावरण चाहिए जिसे अंग्रेजी में कल्चर करना कहते हैं,समझने के लिए दही जमाने के लिए दूध चाहिए और जामन(जमी हुई दही या छाछ के बहुत छोटी मात्रा)।
अब दही जमाने का दूध उसका कल्चर करने वाला माध्यम है और जामन उसका वायरस हुआ।
तो वैक्सीन बनाने वाला कल्चर है "फीटल बोवाइन सीरम" FBS। करोड़ों डोज़ बनाने के लिए लाखों लीटर कल्चर चाहिए होगा जिसमे वायरस जीवित रह सके। तो वैक्सीन का एक मुख्य अंग हुआ कल्चर और वैक्सीन का कल्चर है FBS।
FBS फीटल बोवाइन सीरम क्या है??????
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फीटल माने भ्रूण
बोवाइन माने गाय
सीरम माने रक्त का वह जलीय अंश जिसमे फिब्रिनोजन(रक्त को जमाने वाला) नही हो
अर्थात गाय के भ्रूण का रक्त जिसे बाद में फिब्रिनोजन एवं कुछ अन्य कोशिकाओं को निकालकर संशोधित किया जाता है
FBS का उत्पादन कैसे होता है???
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कसाईखानों में गर्भवती गायों की हत्या करके जीवित भ्रूणों को निकाला जाता है और जीवित भ्रूण के हृदय में पंक्चर(छेद करके) उसका रक्त निकाला जाता है क्योंकि जीवित जीव का रक्त ही सजीव होता है और उसी में वायरस कल्चर किया जा सकता है।
यह रक्त निकालने में सबसे पहले गायों को निर्मम यातनाएं देकर मारा जाता है फिर उससे बड़ा आघात उसके अजन्मे बच्चे को दिया जाता है।
पूरी प्रक्रिया मानवता के नाम पर कलंक है और शर्मसार से भी नीचे कोई शब्द हो तो कम है।
खतरनाक प्रीसरवेटिव
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Thimersol(थाईमरसोल)(ethyl mercury): मरकरी युक्त
Formaldehyde
एल्युमीनियम
मुख्य रूप से उपरोक्त तीन preservative लगभग सभी वैक्सीन में डाले जाते हैं और उस वैक्सीन को बेहद ठंडे तापमान पर रखा जाता है जो शून्य से कई डिग्री कम होता है जिससे सीरम(fbs) सड़े न जाए अन्यथा fbs सड़ कर खराब हो जाएगा।
उपरोक्त तीनों preservative मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक हैं और उनके गंभीर परिणाम आ रहे हैं।
Gelatin(जीवों की अंतड़ियों का रस)
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यह भी वैक्सीन में preservative और स्टेबलाइजर का काम करता है
इसके अलावा बहुत सी अन्य केमिकल इसमे डाले जाते हैं जो शरीर के लिए पूर्णतया अप्राकृतिक हैं और उनके बेहद गंभीर परिणाम हैं।
क्यों है खतरनाक
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खतरनाक,अप्राकृतिक एवं निर्मम जीव हिंसा से तैयार घालमेल को वैक्सीन कहते हैं और बिना लीवर,आंतों,किडनी का सहयोग लिए सीधे रक्त में इंजेक्शन के माध्यम से डाली जाती है।
हम जब भी कोई वस्तु खाते हैं, चाहे उसमे कितनी खतरनाक मात्रा में जहर हो लेकिन शरीर के अंगों-आमाशय,छोटी आंत,लीवर,किडनी एवं बड़ी आंत के माध्यम से दूषित एवं जहरीली चीजों को शरीर बाहर निकालने का भरसक प्रसास करते हुए शुद्ध रस बनाने का प्रयास करता है(लेकिन विष की मात्रा सीमा से अधिक होने पर ही रस दूषित होता है अन्यथा सभी अंग शरीर को अप्राकृतिक हानिकारक वस्तुओं को बाहर करता है) आगे चलकर उससे रक्त,मांस,मेद,अस्थि,मज्जा और शुक्र का निर्माण होता है।
अगर रक्त को सीधे ही विष से भर दिया जाए तो उससे आगे चलकर बनने वाली मांस धातु दूषित हो जाएगी(खतरनाक त्वचा रोग आएंगे क्योंकि रक्त से आगे बनने वाली धातु मांस ही है और ब्रिटैन में वैक्सीन लगते ही 2 लोगों को भयंकर त्वचा रोगों की पुष्टि हुई है जिसे एलर्जी कहकर लोगों के डर को कम करने का झूठा प्रयास हुआ है), मांस दूषित हुआ तो मेद का दूषित होना तय है जिसका प्रभाव और कुछ दिनों में दिखाई !!
प्रतिलिपि कृत
#गौमाता_राष्ट्रमाता
#गौहत्या_बंद_करो_सरकार
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