गौमाता राष्ट्रमाता क्यों हो इसके लिये भारत के संविधान को, नीति निर्धारण को और राष्ट्र माता के अभियान को समझना जरूरी है।
पूज्य गुरुदेव गौ गंगा कृपाकांक्षी गोपाल मणि जी महाराज जी द्वारा गौकथा गौजागृति के बाद 337 गौधामो कि स्थापना हुई इसके पश्चात लगभग 4.5 लाख से अधिक लोगो के घर मे प्रत्यक्ष गौमाता आयी और फिर सत्ता द्वारा गौमाता को पशु के अपमान से हटा माता का सम्मान देने के लिये 3 ऐतिहासिक आंदोलन तथा पूरे भारत के जिलों का प्रवास 1 वर्ष में किया गया साथ ही प्रदेश स्तरीय गोवर्धन जन जागरण रैलियां। कारण स्पष्ट है सनातनियो की मान्यता में गौमाता को माँ का सम्मान है और भारत सरकार ऐसा कर माता का सम्मान दे गौमाता को जिससे गौहत्या मुक्त भारत बने।
समस्त जनता ही माता माने तो सत्ता बनायेगी -
करोड़ो सनातनी गौ को माता मानते है और यह तो वो कई प्राचीन समय से मान रहे है लेकिन एक बात अलग है वो यह आप हमसे पूर्व में जिस गाय को माता कहा गया है उनको राम राज्य में माता का सम्मान था, अब गजट दिखाने को मत बोलना क्योंकि कृष्ण राज्य में भी माता का सम्मान था.. और इसकी पुष्टि और गजट तो श्री रामायण, श्रीमद्भागवत, भगवद्गीता, महाभारत आदि है।
और रही बात समस्त जनता जब माता मानेगी तो सरकार मानेगी तो इस वर्णशंकर जनता के बीच कभी भी पूर्ण जनता तो कोई भी बता पूर्णतः नही मानेगी लेकिन करोड़ो मानने वाले है, सभ्यता , संस्कृति है तो फिर इस तथाकथित लोकतंत्र में सुनवाई क्यों नही होती ?
और यदि किसी की बुध्दि में सरकार के माता मानने में फर्क नही दिखता तो वो पहले यूँही विरोध करते रहे तो वो पहले भारतीय कानून, संविद्धान, राष्ट्रीय प्रतीक, किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति का सम्मान का विषय समझे कि इन पदों पर जाते ही उनको इतनी ताकत क्यों मिलती है।
और एक बात स्मरण रहे आप हम निमित्त बने या ना बने गौमाता राष्ट्रमाता एक पवित्र विचार है और एक दिन पूर्ण भी होगा, हर घर मे गौमाता होगी, हर ग्राम में नंदी और गौ मंत्रालय होगा तथा गौरक्षा संवैधानिक और कानूनी अधिकार होगा।
जय गौमाता राष्ट्रमाता...माँ
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