Sunday, February 21, 2021

मांसाहार_की_देन_भुखमरी

 #मांसाहार_की_देन_भुखमरी


भारत एक ऐसा देश जो अपने खाने पीने के लिए मशहूर था और है भी लेकिन फिर भी भारत भुखमरी सूचकांक में 102 वें नम्बर पर है, इसका कारण क्या है ?


वैसे तो भुखमरी के बहुत सारे कारण है लेकिन इनमें एक ऐसा मुख्य कारण है जिसकी तरफ लोगों का ध्यान कम ही जाता है और वह कारण है #मांसाहार ।।


हर रोज लाखों पशुओं को मनुष्य अपनी जीभ के स्वाद के लिए काट देता है लेकिन कभी इसके पीछे के नुकसान को नही देखता है ।।


जिस भारतवर्ष में कभी दूध की नदियां बहा करती थी आज वहां के लोग एक एक प्याले दूध के लिए तंग हो रहे हैं, इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी ?


आगे बढ़ने से पूर्व एक बार स्वामी दयानन्द के विचार इस विषय पर जान लेते हैं, सत्यार्थ प्रकाश के दसवें समुल्लास में स्वामी दयानन्द जी लिखते हैं कि


"जो-जो बुद्धि का नाश करने वाले पदार्थ हैं उन का सेवन कभी न करें और जितने अन्न सड़े,बिगड़े दुर्गन्धादि से दूषित,अच्छे प्रकार न बने हुए और मद्य,मांसाहारी म्लेच्छ कि जिन का शरीर मद्य,मांस के परमाणुओं ही से पूरित है उनके हाथ का न खावें ।

जिस में उपकारक प्राणियों की हिंसा अर्थात् जैसे एक गाय के शरीर से दूध,घी,बैल,गाय उत्पन्न होने से एक पीढ़ी में चार लाख पचहत्तर सहस्र छः सौ मनुष्यों को सुख पहुंचता है वैसे पशुओं को न मारें, न मारने दें ।।

 जैसे किसी गाय से बीस सेर और किसी से दो सेर दूध प्रतिदिन होवे उस का मध्यभाग ग्यारह सेर प्रत्येक गाय से दूध होता है,कोई गाय अठारह और कोई छः महीने दूध देती है,उस का भी मध्य भाग बारह महीने हुए ।

अब प्रत्येक गाय के जन्म भर के दूध से २४९६० (चौबीस सहस्र नौ सौ साठ) मनुष्य एक बार में तृप्त हो सकते हैं। उसके छः बछियां छः बछड़े होते हैं उन में से दो मर जायें तो भी दश रहे ।


उनमें से पांच बछड़ियों के जन्म भर के दूध को मिला कर १२४८०० (एक लाख चौबीस सहस्र आठ सौ) मनुष्य तृप्त हो सकते हैं। अब रहे पांच बैल, वे जन्म भर में ५००० (पांच सहस्र) मन अन्न न्यून से न्यून उत्पन्न कर सकते हैं। उस अन्न में से प्रत्येक मनुष्य तीन पाव खावे तो अढ़ाई लाख मनुष्यों की तृप्ति होती है ।

दूध और अन्न मिला कर ३७४८०० (तीन लाख चौहत्तर हजार आठ सौ) मनुष्य तृप्त होते हैं ।

दोनों संख्या मिला के एक गाय की एक पीढ़ी में ४७५६०० (चार लाख पचहत्तर सहस्र छः सौ) मनुष्य एक वार पालित होते हैं और पीढ़ी परपीढ़ी बढ़ा कर लेखा करें तो असंख्यात मनुष्यों का पालन होता है। इस से भिन्न बैलगाड़ी सवारी भार उठाने आदि कर्मों से मनुष्यों के बड़े उपकारक होते हैं तथा गाय दूध में अधिक उपकारक होती है परन्तु जैसे बैल उपकारक होते हैं वैसे भैंसे भी हैं। परन्तु गाय के दूध घी से जितने बुद्धिवृद्धि से लाभ होते हैं उतने भैंस के दूध से नहीं। इससे मुख्योपकारक आर्यों ने गाय को गिना है। और जो कोई अन्य विद्वान् होगा वह भी इसी प्रकार समझेगा। बकरी के दूध से २५९२० (पच्चीस सहस्र नौ सौ बीस) आदमियों का पालन होता है वैसे हाथी, घोड़े, ऊंट, भेड़, गदहे आदि से भी बड़े उपकार होते हैं। इन पशुओं को मारने वालों को सब मनुष्यों की हत्या करने वाले जानियेगा। देखो! जब आर्यों का राज्य था तब ये महोपकारक गाय आदि पशु नहीं मारे जाते थे । तभी आर्य्यावर्त्त वा अन्य भूगोल देशों में बड़े आनन्द में मनुष्यादि प्राणी वर्त्तते थे। क्योंकि दूध, घी, बैल आदि पशुओं की बहुताई होने से अन्न रस पुष्कल प्राप्त होते थे। जब से विदेशी मांसाहारी इस देश में आके गो आदि पशुओं के मारने वाले मद्यपानी राज्याधिकारी हुए हैं तब से क्रमशः आर्यों के दुःख की बढ़ती होती जाती है। क्योंकि-


नष्टे मूले नैव फलं न पुष्पम् 


जब वृक्ष का मूल ही काट दिया जाय तो फल फूल कहां से हों ?"


कितनी सुंदर और तथ्यात्मक बात लिखी है स्वामी जी ने और अगर देखा जाए तो गाय,भैंस आदि पशु जो इतने सारे मनुष्यों को भोजन करवाने में समर्थ हैं उनकी हत्या मात्र कुछ लोगों के जीभ के स्वाद के लिए कर दिया जाए तो भुखमरी होना लाजिमी है  ।।


अगर समाज की तरफ देखें तो समाज को भी मांसाहार बुरा नही दिखता है क्योंकि समाज के प्रभावशाली लोगों को मांस कुछ ज्यादा ही पसन्द आता है और जिस समाज के प्रभावशाली लोग ही उल्टे रास्ते चलते हो तो उसको सुधा मार्ग कौंन दिखाएं ?


अब भी अगर सरकार और समाज जागरूक हो जाए और समस्त बूचड़खानों को बन्द करवा दिया जाए तो भारत से भुखमरी मिटने में समय ना लगेगा ओर मैं प्रत्येक व्यक्ति से निवेदन करूँगा की अगर एक निरीह प्राणी का मांस खाना छोड़ कर उसका दूध पीओ और भारत के जो लाखों लोग हर रोज भूखें सोते हैं थोड़ा उनकी तरफ भी ध्यान दो 


सीधी सी बात है अगर आप मांस खाते हो तो समझ लो कि आपके कारण एक निर्दोष प्राणी की हत्या हुई है और कोई भूखा सोया है और अगर आप मांस खाना छोड़ कर गाय आदि पशुओं को पालोगे तो आप खुद भी रोजगार पाओगे ओर भारतवर्ष और पूरे विश्व से भुखमरी भी समाप्त करने में अहम भूमिका निभाओगे 🙏🙏


मांस खाना छोड़ो और भुखमरी मिटाने में सहायता करो 


जय आर्य जय आर्यावर्त्त


देख तेरे संसार की हालत 

क्या हो गई भगवान

कितना बदल गया इंसान।।

#गौमाता_राष्ट्रमाता

#गौहत्या_बंद_करो_सरकार

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