Sunday, February 21, 2021

गौहत्या रोकने का उपाय

 गौहत्या रोकने का उपाय

उठो भारत के नर नारियो हुंकार भरो।

गौमाता को राष्ट्र माता स्वीकार करो।।

  गौहत्या का कलंक भारत के माथे से मिटाना हैं ,

          पुनः राष्ट्र को विश्व गुरु बनाना है।

  1966 में धर्म सम्राट करपात्रीजी महाराज के नेतृत्व में गौहत्या बंदी आंदोलन को 2016 में 50 वर्ष पुरे हो रहे हैं।उस आंदोलन में हजारो गौभक्तो ने प्राणों की आहुति दि थी ।उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिये गौमाता को राष्ट्र माता के पद पर सुशोभित करवाने हेतु ।

।। महा जन आंदोलन ।।

दिनाँक 28 फरवरी 2016 रविवार को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में पूज्य गोपाल मणि जी महाराज एंव देश के पूज्य सन्तों के सानिध्ये में।

जिसमे देश के सभी राज्यो से हजारो गौभक्तो ने हिश्सा लेंगे ।

     भारत के ऋिषयों ने पूरे देश और दुनिया को एक परिवार या घर के रूप में देखा है। घर बनता ही माँ से है। इस देश में राष्ट्र गीत भी है राष्ट्र गान भी है राष्ट्र पक्षी भी है राष्ट्र पशु भी है राष्ट्रपिता भी हैै। लेकिन हमारे राष्ट्र रूपी घर में राष्ट्र माता नही है

इसलिए गो माता को राष्ट्र माता बनाओ। वेदों में लिखा है

गोस्तु मात्रा न विद्यते

गाय की बराबरी कोई नही कर सकता।  उस गो माता के लिए हमे किसी मंदिर बनाने की जरूरत नही है गो माता के घर पहुंचते ही वह घर मंदिर बन जाता है

गो माता को वो सम्मान दो जो हम भगवान को देते हैं ।

आप एक दिन आकर गो रक्षा के लिए खडे हो जाओ ।

भारत सरकार एंव राज्य सरकार से हमारी निम्न पांच मांगे है।

1. गौ माता को राष्ट्रमाता के पद पर सुशोभित करे एंव गौ मंत्रालयों का अलग से गठन हो।

2. रासायनिक खादो पर प्रतिबंध लगे,गोबर की खाद का उपयोग हो,गोबर गैस का चूल्हा जलाने एंव गोबर गैस को सी.न.जी गैस में परिवर्तन कर मोटर गाड़ी चलाने में उपयोग हो।

4 . 10 वर्ष तक के बालक-बालिकाओ को सरकार की और से भारतीय गाय का दूध नि:शुल्क उपलब्ध हो,किसानो को गाय अनुदान में दी जाये,प्रत्येक गाँव में भारतीय नंदी(सांड)की व्यवस्था हो।

4. जर्सी आदि विदेशी गायों पर पूर्ण प्रतिबंध उसके दूध की विकृति को सार्वजनिक किया जाये,गोचरान  भूमि गौवंश के लिये ही मुक्त हो।

5.गौ-हत्यारों को मृत्यु दण्ड दिया जायें।

ये जानकारी भारतीय गोक्रांति मंच तमिलनाडु चेन्नई के गोवत्स राधेश्याम रावोरिया ने दी।

गौमाता राष्ट्रमाता के चरणों में,हमारा कोटी-कोटी वंदन।


गौ हत्या यानि एक देवी की हत्या

ये सिर्फ गौ हत्या नहीं ,एक देवी कि हत्या है ,राष्ट्र माता की हत्या है

वेदों में ‘गोघ्न‘ या गायों के वध के संदर्भ हैं और गाय का मांस परोसने वाले को महापापी और अति दुष्ट कहा गया है

वेदों में गाय को अघन्या या अदिती – अर्थात् कभी न मारने योग्य कहा गया है और गोहत्यारे के लिए अत्यंत कठोर दण्ड के विधान भी है

गाय का यूं तो पूरी दुनिया में ही काफी महत्व है, लेकिन भारत के संदर्भ में बात की जाए तो प्राचीन काल से यह भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। चाहे वह दूध का मामला हो या फिर खेती के काम में आने वाले बैलों का। वैदिक काल में गायों की संख्‍या व्यक्ति की समृद्धि का मानक हुआ करती थी। दुधारू पशु होने के कारण यह बहुत उपयोगी घरेलू पशु है।

गाय का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है। यह बीमारों और बच्चों के लिए बेहद उपयोगी आहार माना जाता है। इसके अलावा दूध से कई तरह के पकवान बनते हैं। दूध से दही, पनीर, मक्खन और घी भी बनाता है। गाय का घी और गोमूत्र अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाने के काम भी काम आता है। गाय का गोबर फसलों के लिए सबसे उत्तम खाद है। गाय के मरने के बाद उसका चमड़ा, हड्डियां व सींग सहित सभी अंग किसी न किसी काम आते हैं। फिर भी गौ माता की हत्या क्यूँ

अन्य पशुओं की तुलना में गाय का दूध बहुत उपयोगी होता है। बच्चों को विशेष तौर पर गाय का दूध पिलाने की सलाह दी जाती है क्योंकि भैंस का दूध जहां सुस्ती लाता है, वहीं गाय का दूध बच्चों में चंचलता बनाए रखता है। माना जाता है कि भैंस का बच्चा (पाड़ा) दूध पीने के बाद सो जाता है, जबकि गाय का बछड़ा अपनी मां का दूध पीने के बाद उछल-कूद करता है।

गाय न सिर्फ अपने जीवन में लोगों के लिए उपयोगी होती है वरन मरने के बाद भी उसके शरीर का हर अंग काम आता है। गाय का चमड़ा, सींग, खुर से दैनिक जीवनोपयोगी सामान तैयार होता है। गाय की हड्‍डियों से तैयार खाद खेती के काम आती है। फिर भी गौ माता की हत्या क्यूँ

भारत में गाय को देवी का दर्जा प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 करोड़ देवताओं का निवास है। यही कारण है कि दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर गायों की विशेष पूजा की जाती है और उनका मोर पंखों आदि से श्रृंगार किया जाता है।

प्राचीन भारत में गाय समृद्धि का प्रतीक मानी जाती थी। युद्ध के दौरान स्वर्ण, आभूषणों के साथ गायों को भी लूट लिया जाता था। जिस राज्य में जितनी गायें होती थीं उसको उतना ही सम्पन्न माना जाता है। कृष्ण के गाय प्रेम को भला कौन नहीं जानता। इसी कारण उनका एक नाम गोपाल भी है।

कुल मिलाकर गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व है। गाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तो आज भी रीढ़ है। दुर्भाग्य से शहरों में जिस तरह पॉलिथिन का उपयोग किया जाता है और उसे फेंक दिया जाता है, उसे खाकर गायों की असमय मौत हो जाती है। इस दिशा में सभी को गंभीरता से विचार करना होगा ताकि हमारी ‘आस्था’ और ‘अर्थव्यवस्था’ के प्रतीक गोवंश को बचाया जा सके। आओ आज एक प्रण लें और गऊ माता की रक्षा के उन पापियों से सब मिलकर लड़ें ,



गौहत्या रोकने के आदर्श ऐवम व्यवहारु उपाय

० गौमाता के गुणो बारे में संपूर्ण जानकारी समाज प्राप्त करवाना ताकी गौमाता का सन्मान बढे.

१ गौसंवर्धन & एम्ब्र्यो ट्रान्सफर (दूध उत्पादन बढ़ावा )

२ चारागाह (गौचर )का विकास & दूध बढ़ाने वाली ऐवम गुण बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधि को बढ़ावा .

३ जलसंचय को बढ़ावा

४ गोबर (बायो ) गैस प्लांट्स & आर्गेनिक खेती

५ पंचगव्य & गौमूत्र औषधि द्वारा सर्व भयानक बीमारी को मिटाना

६ गोबर & गौमूत्र द्वारा कास्मेटिक & डोमेस्टिक प्रोडक्ट को बढ़ावा देकर रोजगारी निर्माण.

७ अग्निहोत्र का चिकित्सा & खेती में उपयोग .

८ बैल का खेती के इलावा जनरेटर, वाटर टरबाइन पंप ,आटा चक्की जैसे कई नए उपयोग .

९ अमूल जैसी डेरी उद्योग को सीधे रस्ते पे लाना.

१० मंदिर को दान बंध कर के ऊपर के उपायो के लिए दान कर के गौमाता को आत्म निर्भर बनाना.

११ गौमाता के दूध & गौमूत्र के ज्यादा दाम प्राप्त हो. समजदार हिंदुस्तानी नागरिक पुरे देश में यह उपाय फैलाकर इस रास्ते पे चल कर गौहत्या बंध करवा सकता है.

प्लीज सारे दोस्तों ऐवम ग्रुप में यह बात फैलाओ.

जय हो गौ मैया की .


जैसे दूध में घी होता है पर वो निकालने के लिए पहले

उसको दही बनाओ बाद में

मक्खन फिर गर्म करने से घी निकलता है.

जैसे तिल में से तेल निकलता है .बाजरा में से नहीं .

ऐसे ही

गौहत्या कानून से या हथियार से या नारा लगाने से बंध नहीं होगी.

ऊपर बताये गए सुजाव पर काम करने से १००% रिजल्ट मिलेगा.गौहत्या के लिए जाने अनजाने में हिन्दू ही जिम्मेदार है.गौमाता के गुणों को जान कर उसका फायदा उठाकर गौमाता और हिंदुस्तान को सुखी बनाओ.

आपका प्यारा मित्र 

गोवत्स राधेश्याम रावोरिया 



** ‎गौहत्या‬ रोकने का उपाय नंबर १० ##

फालतू धार्मिक खर्च -दान (मंदिर )को बंध करके गौमाता के गुणों का प्रचार एवं गौहत्या रोकने के सही तरीको पर काम कर गौमाता का सन्मान और देश समृद्ध बनाना ##

‪#‎हमारे‬ धर्म में लिखा गया है की (धर्म -अर्थ-काम-मोक्ष) यह सब हमारे धर्म के चार स्तम्भ है और यह सब गौमाता में मोजूद है.

‪#‎गौमाता‬ की सेवा से ३३ कोटि देवी-देवता प्रसन रहते है.कोई मंदिर या तीर्थ जाने की जरूर नहीं है.सिर्फ गौसेवा .

‪#‎इस‬ के दूध ,गौमूत्र,गोबर बहुत उपयोगी है.इसका सही इस्तमाल आरोग्य-धन देता है 

# गौसेवा से हमारे वंश की निरंतर वृद्धि होती है.#

# गौसेवा से सात्विक बुद्धि से गौलोक में स्थान मिलता है ##हमारे धर्म में लिखा है की जिस भूमि पर गौमाता का एक बूँद लहू का गिरता है वहां किया हुवा जप,तप ,दान-पुण्य सब व्यर्थ जाता है .पहले इसको बंध करवाओ.फिर दूसरा सोचो.##हमारे धर्म में ५०% दान गौमाता के लिए बाद में दूसरे जीवो के लिए (सही दिशा की गौसेवा से मनुष्य भी सुखी रहेगा सात्विक बुद्धि की वजहसे )करो.

##गौमाता देवी-देवता की भी माता है.समजो जरा.#

हमारा बड़े मंदिरो में दिया दान सरकार लेकर मस्जिद,मदरसा के खर्च करती है .अब तो समजो सोचो.

#‪#‎सार‬-गौमाता को स्वावलम्बी बनने के लिए दान करो.गौहत्या बंध करने में योगदान करके महापुण्य कमाओ.

इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो.


मित्रो ,

मैँ अक्सर देखता हुँ कि

ज्यादातर हिँदू भाई अपने जीवन मेँ मँदिर बनाने या मँदिरोँ मे दान देने मेँ बहुत धन खर्च करते हैँ ।।

हो सकता है उनके विचार मेँ ये पुण्य कर्म हो ।।

लेकिन मेरे विचार

थोडे अलग हैँ


जिस देश मे भूख से मरने वालोँ की सँख्या लाखोँ मेँ हो ।


जिस देश मेँ एक तरफ गौ को माता कहकर पूजा जाता है और दूसरी तरफ उसी गौ माता को सडकोँ पर आवारा छोड दिया जाता हो,

जहाँ से उन्हेँ कत्लखाने मेँ पहुँचा दिया जाता है ।।


ऐसी सूरत मेँ मँदिर बनाना या मँदिरोँ मे दान देना कहाँ का पुण्य है

ये एक गँभीर सवाल है ।।


मेरा मानना है कि उसी धन से अगर अच्छी सी गौशालाऐँ बनाई जायेँ

तो उससे बडा कोई पुण्य नहीँ है उससे बडा कोई मँदिर नहीँ है

उससे बडा कोई दान नहीँ है ।।


गौशालायेँ बनाने से गौमाता की सेवा के साथ-साथ

दूध से दही मक्खन घी पनीर

गोबर से गोबर गैस साबुन अगरबती और जैविक खाद

गोमूत्र से औषधियाँ बनाकर देश के विकास मे सहयोग किया जा सकता है ।।


बडे स्तर पर काम करने से

कटते हुये गौवँश की रक्षा होगी ।

कृषि उत्पादन विषमुक्त होगा । लाखोँ बेरोजगार लोगोँ को रोजगार मिलेगा ।।

श्री राजीव दिक्षित जी भी ये कहते थे कि गौ माता की सेवा और रक्षा ही

भारत की रक्षा है ।।


आपका क्या विचार है मित्रोँ ? अपने विचारोँ से जरुर अवगत करवायेँ ।।


***गौहत्या रोकने के उपाय नंबर ९ *****

**AMUL जैसी डेरी उद्योग को सही रस्ते पर लाना **

‪#‎क्या‬ आप जानते हो की गौहत्या और डायबिटिक,हार्ट,कैंसर जैसी बीमारिया अमूल डेरी की वजह से बढ़ी है.#

पहले हमारा देश गौपालक था.लेकिन अमूल ने उसको बादमे पशुपालक (भेंस)और बाद में सुवरपालक (HF ,जर्सी जैसे विदेशी सुवर के जीन्स वाले जनावर देश को बर्बाद करने लाये) बनाया .source .govt of gujarat .

#१९८७-२००७ के २० साल में न्यूज़ीलैंड के डेरी साइंटिस्ट keith woodford ने रिसर्च में प्रूव किया था की विदेशी जनावर में BCM -७ नामक ज़हर है जो रोगप्रतिकारक शक्ति को खत्म करता रहता है.और देश के गर्म और नमी युक्त वातावरण मे यह टी.बी.और जेडी बुसोलोसिस बिमारी से पीडीत रहती है इस के दुघ मे परु(pus cell)पाया जाता है.फिरभी अमूल के संस्थापक सुवर-वर्गीस कुरियन ने इसको प्रोत्साहन देना चालू रखा और अभी भी अमूल के चेयरमैन यही कर रहे हे.विदेश में देशी गौमाता सर्वाधिक दूध देती है (गिर गाय ६२ लीटर/दिन काँकरेजी ,ओंगोल गाय ४५ l/d देती है .क्या अमूल देश के लोगोको बीमार करने लिए विदेशी ताकत का हत्था बना हुवा है. CBI से इसकी जांच करवाओ. यह लोग अमृत समान गौमाता के दुघ,गौमूञ,गोबर के गुणो को जनता को नही बताते. 

*‪#‎विदेशी‬ जनावर माता नहीं पुतना मौसी है याद रखो #

## कोई देशप्रेमी NGO इस पर सुप्रीम कोर्ट में केस कर के इस विदेशी जनावर को देशनिकाल दिलवाएगा क्या ?

#‪#‎pasteurization‬ & homogenization दूध के सारे विटामिन्स खत्म कर देता है.२ दिनों का बासी दूध तामसी हो जाता है.अमूल पशआहार मे हडडी का चुरा मिलाता है.जिससे जनावर-गाय बिमार होते हे.फिर ऊस को ऐंटीबायोटिक का डोझ देके और जहरीला बनाते हे.अमूल दुघ छोडो.गौशाला की देशी गाय का दुघ जयादा दाम देके पीओ और स्वस्थ, मस्त जीओ.

अमूल ने हिंदुस्तानी परंपरा के मुतबिग घी बंनाने की जगह मलाई(milk क्रीम) को डायरेक्ट गर्म करके नकली घी (butter oil )बेच के भारतीयों को हार्ट पेशेंट बनाया है.

*‪#‎विदेश‬ में भारतीय गाय के दूध का दाम विदेशी जनावर से ३ गुना है.क्या देश के गौपालक और जनता के बारे में अमूल नहीं सोचेगी. *#

*‪#‎एक‬ कहावत हे कि जेसा अन्न वेसा मन.*#

तामसी(भेंस)और झहरीला(विदेशी जनावर)का दुध से देश के लोग मतलबी और लागणीविहीन बनने के साथ कमजोर,निस्तेज,निवीर्य बन रहै है.गुजरात और देश में बच्चो में कुपोषण ,बालमृत्यु बढ़ी है उसमे अमूल का अहम योगदान है. इसलिए देसी गाय का दूध नमिले तोभी अमूल का त्याग करो.

# इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो. #


***गौहत्या रोकने का उपाय नंबर ८ ***

बैल संचालित जनरेटर,वाटर टरबाइन पंप,आटा चक्की,तेल निकालने का कोल्हू ,गियर वाला हाई स्पीड बैल गाड़ी जैसे अनेक विविध प्रयोग

दोस्तों आज ज्यादातर किशान बैल रखने को तैयार नहीं है क्यों की खेतीबाड़ी में साल में १महिने से ज्यादा उपयोगिता नहीं होती और बैठे बैठे खिलाना पड़ता है.

*पर इसकी शारीरिक ताकत को अन्य उपयोग जैसे की इलेक्ट्रिसिटी की पीक डिमांड के टाइम पुरे हिंदुस्तान के बेलो को जनरेटर और पॉवरग्रिड के साथ जोड़ दिया जय तो १ बैल दिन की २५-३० यूनिट इलेक्ट्रिसिटी पैदा करने की ताकत रखता है.हिदुस्तान में तो करोडो है.उनके गोबर को गैस बनाकर भी इलेक्ट्रिसिटी पैदा की जा सकती है.और गोबर की स्लरी से आर्गेनिक खाद बनाया जा सकता है.कुछ तो नया करो.

१०० फ़ीट तक पानी हो तो डीजल इंजन की जगह वाटर टरबाइन पंप चलाया जा सकता है .पानी का लेवल ज्यादा हो तो जलसंचय & सजीव खेती द्वारा पानी का लेवल बढ़ाया जा सकता है.

बैल से आटा चक्की ,तेल निकालने का कोल्हू गियर वाला बैल गाड़ी (स्पीड ३५ km/hr) यह सब चला कर इलेक्ट्रिसिटी & डीजल की खपत करके विदेशी मुद्रा बचाकर पर्यावरण का संरक्षण किया जा सकता है.

****इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो.****


*** गौहत्या रोकने के उपाय नंबर ७ ***

** अग्निहोत्र का चिकित्सा ऐवम खेती में उपयोग.**

क्या आप जानते हो की सूखे गोबर के कंडे जापान कंटेनर भर भर के राजस्थान से मंगवा रहा है.क्यों की उधर वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है.जर्मनी और अन्य देश भी इसपर बहुत रिसर्च कर रहे है.

अग्निहोत्र वातावरण (हवा पानी )शुद्धिकरण के साथ एटॉमिक रेडिएशन की असर को कम करता है.बरसात लाने मे भी सहायक है.यह विज्ञानिको ने सिद्ध किया है. ***अग्निहोत्र में सूर्योदय ऐवम सूर्यास्त के समय मिटटी या तांबे के पिरामिड जैसे बर्तन में गोबर के कंडे के साथ हवन सामग्री और अक्षत चावल को गाय के घी में भिगो कर मंत्रोच्चार के साथ आहुति देने से अग्नि के गुण हमारे में आते है.भयंकर बीमारी जैसे की cancer ,HIV जैसी अनेक बीमारिया ठीक होती है.खेतीबाड़ी में यह करने से फसल जंतु मुक्त और उत्पादन बढ़ता है.यह अनुशंधान से सिद्ध हुवा है.***

**इससे घरमे पॉजिटिव ऊर्जा बढ़ने से मन की शुद्धि होती है.मेरी पत्नी रोज शाम को अग्निहोत्र करती है.आप भी अपने घर में यह करे.और दिव्य अनुभूती करे.**


***गौहत्या रोकने के उपाय नंबर ६ ***

**गोबर और गौमूत्र के द्वारा कॉस्मेटिक & डोमेस्टिक प्रोडक्ट से रोजगारी निर्माण और गौ स्वावलम्बन से समृद्ध हिंदुस्तान का निर्माण **

क्या आप जानते हो की गौमूत्र से बना फिनायल (पोछे के लिए लिक्विड )वर्ल्ड बेस्ट फिनायल है क्यों की गौमूत्र वर्ल्ड बेस्ट एंटीसेप्टिक ,एंटीबैक्टीरियल,एंटीवायरल है.*

इनसे टूथपेस्ट ,शैम्पू ,अगरबत्ती ,हैंडवॉश,हेयर आयल,साबुन ,जैसे अनेक प्रोडक्ट बनती है.और सब से बेस्ट है. **केमिकल युक्त मच्छर अगरबत्ती से २० सिगरेट जितना खतरनाक धुँआ निकलता है.पर गोबर और नीम से बनी अगरबत्ती संपूर्ण निर्दोष होती है.और १००% रिजल्ट है *

और गोबर से बनी अगरबत्ती से वातावरण में पॉजिटिव ऊर्जा फैलती है और देवी-देवता भी प्रस्सन रहते है.

*यह सब प्रोडक्ट गृह उद्योग के द्वारा बनाई जा सकती है.इससे बेरोजगारी हटाई जा सकती है.और विदेशी कंपनी द्वारा चलाई जा रही लूट से देश को बचाया जा सकता है.**में ज्यादातर इससे बनी प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहा हु 

आप भी इस टाइप की प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करके एवं सबको प्रेरित करके गौमाता को स्वावलम्बित करके उसे बचाने में सहयोग करे.क्यों की बैठे बैठे खिलाना हमारी मूर्खता ऐवम गौहत्या की मुख्य वजह है.

**इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो.**



**गौहत्या रोकने का उपाय नंबर ५ **

*पंचगव्य और गौमूत्र से भयंकर रोगो से मुक्ति.*

भगवन श्री कृष्ण ने गीता में कहा है की कौन सा शारीरिक या मानसिक रोग है जो पंचगव्य से नहीं मिटता .अरे इससे तो आदमी के पापो का भी नाश होता है और सात्विक बुद्धि बढ़ती है.भगवान को युही सबसे प्यारी गौमाता नहीं थी.

आप जानते हो की गाय के दूध+ दही + घी+ गौमूत्र + गोबर के सब के अपने अलग गुण होते है.अगर इनसब को मिला कर पंचगव्य बनाया जाये तो कितना शक्तिशाली औषध बनेगा.

इनसे बना पंचगव्य घृत & महापंचगव्य घृत कैंसर,(एड्स )जैसे अनेक बीमारी में उपयोगी है.पंचगव्य के बहुत सारे सेंटर पुरे देश में खुल रहे है.**यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति होगी.क्यों की विलायती एलोपैथी के 

एंटीबायोटिक & स्टेरॉयड्स के बहुत साइड इफ़ेक्ट है.और यह रोगो के कारन को जानकर उसको मिटाने की जगह रोगो को दबाने का काम करती है.

**अपने आयुर्वेद में गौमाता को चलता फिरता औषधालय कहा गया है.**

चारागाह का चारा खाने वाली गौमाता का सिर्फ धारोष्ण( दोहने के बाद तुरंत का )दूध पर रहने वालो का ३० से १८० दिनों में कायाकल्प हो जाता है.

# # गौजरन (सुबह का पहला गौमूत्र) सुबह खाली पेट पिने से भयंकर बीमारी मिटती है.जो नहीं पि सकते उनके लिए गौमूत्र से बना पाउडर भी अभी उपलब्ध है.उनका फायदा उठाये. बहुत सारी आयुर्वेदिक औषधि में गौमूत्र मिलाने से उसका गुण अनेक गुना बढ़ जाता है.##

## सार-पंचगव्य दैवी चिकित्सा है.यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति होगी.research के रिजल्ट बाद दुनिया सलाम करेगी.##

गौमाता की सभी पोस्ट को पूरी ताकत से शेयर करे अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान है.


**गौहत्या को रोकने का उपाय नंबर ४ **

**गोबर(bio) गैस प्लांट्स & आर्गेनिक खाद ,गौमूत्र पेस्टिसाइड से सजीव खेती **

लेटेस्ट संसोधन से मालूम हुवा है की १ ही गौमाता के पुरे गोबर को गोबर गैस प्लांट्स में इसतमाल किया जाये तो २२५ लीटर पेट्रोल के बराबर गैस १ साल में प्राप्त किया जा सकता है.सोचिये हमारे पास ५० करोड़ गौवंश हो तो कितना गैस मिल सकता है.

**बड़े गोबर गैस (सामूहिक )पर तो कार्बन क्रेडिट मिलती है जिस से विदेशी मुद्रा भी प्राप्त की जा सकती है .

*गोबर गैस की राबड़ी उत्तम खाद है.उसमे आर्गेनिक वेस्टेज +तालाब की मिटटी+ बैक्टीरिया कल्चर + केंचुए मिला कर बेस्ट खाद(black gold)बनती है.विदेशी संसोधन के हिसाब से २-३ साल भर में रासायनिक खाद से बढ़िया उत्पादन मिलता है.गौवंश के मूत्र से कुदरती जंतुनाशक को ३-३ अमेरिकी पेटेंट मिले है.मृत गाय के सिंग ऐवम शरीर से उत्तम खाद बनती है.

*सरकार को अपने अल्प शिक्षित किशानो को इस प्रकार की जाग्रति फैला कर इस तरह से खेती को प्रोत्साहन देना चाहिए .क्योकि इससे रासायनिक खाद + केमिकल जंतुनाशक के पीछे होने वाले खर्च को सुन्य किया जा सकता है.ऐवम इसके पीछे होने वाली बीमारियो के खर्च में कटौती आ सकती है.कैंसर ट्रैन बंध हो सकती है.

*पर अपने बड़े बड़े कोंग्रेसी नेताओ के कतलखाने (गौमाँश एक्सपोर्ट के लिए) चलते है इसलिए यह लोग इसको प्रोत्साहित नहीं करते है.मोदीजी इसको बंध करवा सकते है.

*रासायनिक खाद और केमिकल जंतुनाशक धरती माता पर बलात्कार समान है.यह बंध होना चाहिए.

*हर गौशाला जो बूढ़े गौवंश को संभाल रहा है वह आसपास की बड़ी सिटी का आर्गेनिक कचरे को फ़र्टिलाइज़र बना कर सिटी के कचरे में से पैसे कमा सकता है.गौवंश गौधन है उसको बोज़ मत बनाओ.

*गोबर में ज़हर सोखने की अदभुत शक्ति है तो रिसर्च कर के ज़हरीला इंडस्ट्रियल कचरे को न्यूट्रल बनाया जा सकता है.सोचिये 

## सार-ऑर्गेनिक खाद से उत्पादन बढ़ने के इलावा १/५ पानी की खपत होती है.और भयंकर बीमारिया से नहीं मरना चाहते हो तो इसका प्रचार करो.##

इस उपयोगी जानकारी को पूरी ताकत से समाज में फैलाये.अगर आप सच्चे हिन्दू की संतान हो.


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