गाय की हत्या एक संवैधानिक एवं धार्मिक पाप: सुप्रीम कोर्ट
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गाय की हत्या एक संवैधानिक एवं धार्मिक पाप: सुप्रीम कोर्ट
By RS Pandey on October 10, 2015
गाय की हत्या एक संवैधानिक एवं धार्मिक पाप है, इस आशय का निर्णय हमारी सर्वोच्च न्यायिक संस्था सुप्रीम कोर्ट भी दे चुकी है ।
पहले आप सब यह जान लें कि भारत मे 3600 कत्लखाने ( Cow Slaughter House ) ऐसे हैं, जिनके पास गाय काटने का लाइसेन्स है । इसके इलावा 36000 कत्लखाने यहाँ पर गैर कानूनी रूप से चलाए जा रहे हैं । प्रति वर्ष यहाँ ढाई करोड़ गायों का कत्ल किया जाता है । 1 से सवा करोड़ भैंसो का, और 2 से 3 करोड़ सुअरो का, तथा बकरे – बकरियाँ, मुर्गे – मुर्गियाँ आदि छोटे जानवरों की संख्या तो करोड़ो मे हैं जिनकी गिनती करना भी एक असंभव कार्य है, यहाँ भारत में प्रति वर्ष क़त्ल कर दिया जाता है । सरांस यह है कि भारत एक ऐसा देश बन गया है जहां कत्ल ही कत्ल होता है, ऐसा कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
गाय की पृष्ठभूमि
उपर्युक्त वर्णित परीस्थिति में, जब भारत में जहाँ कि ८०% से अधिक की जनसँख्या हिन्दू है, जब कुछ लोगों को यह सब, जब सहन नहीं हुआ, तो सन 1998 मे राजीव भाई और राजीव भाई जैसे कुछ समविचारी लोगो ने सुप्रीम कोर्ट मे एक मुक़द्दमा दायर किया । एक संस्था है भारत मे, जिसे अखिल भारतीय गौ सेवक संघ के नाम से जाना जाता है, इससे राजीव भाई जुड़े हुए थे, और इस संस्था का मुख्य कार्यालय राजीव भाई के शहर वर्धा मे ही है । एक और संस्था है जिसका नाम अहिंसा आर्मी ट्रस्ट था, तो इन दोनों संस्थाओ ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट मे गोहत्या के बिरुद्ध एक मुक़द्दमा दाखिल किया । बाद मे गुजरात सरकार भी इस मुक़द्दमे मे शामिल हो गई क्योंकि गो हत्या ( Cow Slaughter ) बंदी के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा भी एक मुकदमा दायर किया गया था । भावार्थ यह है कि प्रारंभ में इन तीन पछीय लोगों के द्वारा ही गो हत्या को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पहली बार गुहार लगाई गई थी, और उससे सम्बंधित मुकदमा दायर किया गया था ।
सुप्रीम कोर्ट मे जब मुकदमा किया गया कि गाय और गौ वंश की ह्त्या ( Cow Slaughter ) भारत में नहीं की जानी चाहिए, तो सामने बैठे कसाई और उनके समर्थित लोगो ने तर्क दिया कि क्यूँ नहीं होनी चाहिए ?? बल्कि जरूर होनी चाहिए । इस कुतर्क और विरोध में उठ रही आवाजों को ध्यान में रखकर राजीव भाई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट मे फिर अपील किया गया कि भारत में ऐसा फैसला एक – या दो जज के बेंच का मामला नहीं है बल्कि इस मुकदमा को किसी बड़ी बेंच को सौपा जाना चाहिए । इस बात को पहले 3-4 साल तक तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार ही नहीं किया लेकिन बाद मे इसे मान लिया कि बात की गंभीरता को देखते हुवे इसके लिए एक कोंस्टीच्युसनल बेंच बनाया जाना चाहिए । फलस्वरूप भारत के थोड़े दिन पहले चीफ जस्टिस रहे श्री RC लाहोटी ने अपनी अध्यक्षता मे 7 जजो की एक कोंस्टीच्युसनल बेंच बनाई, जिसमे 2004 से सितंबर 2005 तक भारत में गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) रोकने से सम्बंधित मुकदमे की सुनवाई चली ।
कसाइयो की तरफ से लड़ने के लिए एक तरफ तो भारत के बड़े -बड़े वकील जिनकी फीस २० लाख से 50 लाख और कभी कभी तो करोड़ों में बताई जाती है, वे सब इस मुकदमें की पैरवी में शामिल हुवे थे, (वकीलों का नाम बताना यहाँ आवश्यक नहीं) वहीँ दूसरी तरफ राजीव भाई के तरफ से इस केस को लड़ने वाला कोई बड़ा वकील नहीं था । इसका मुख्य कारण था कि फीस देने के लिए इतना पैसा कहाँ से आता ? फलस्वरूप इस संबंद्ध में राजीव भाई ने आदालत से पूछा कि इतने बड़े मुकदमे को उन लोगों के तरफ से लड़ने के लिए कोई वकील नहीं है तो वे लोग क्या करे ?? अदालत ने कहा कि अगर आप चाहें तो सरकार द्वारा आपको सरकारी वकील मुहैया कराया जा सकता है, राजीव भाई के यह पूछने पर कि क्या वह सवयं यह मुकदमा लड़ सकते हैं तो कोर्ट ने कहा कि क्यों नहीं । आप भी बहस स्वयं कर सकते हैं और कोर्ट आपको इस काम के लिए एम् इ एस्क्युरी देगा यानि कोर्ट के द्वारा दिया गया वकील जो क़ानूनी रूप से मुकदमें को लड़ने में आपकी मदद करेगा । तो इस तरह राजीव भाई द्वारा गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जीरह प्रारंभ हुई ।
मुकदमें की सुनवाई के दौरान कसाईयो के पक्छ के द्वारा गाय काटने ( Cow Slaughter ) के लिए वही सारे कुतर्क रखे गए जिसपर कभी केन्द्रीय मंत्री रहे श्री शरद पवार द्वारा इस संबंद्ध में बोला गया है, या यूँ कहे कि इस देश के बुद्धजीवीओं के एक बड़े समूह द्वारा अक्सर बोला जाता रहा है और जैसा कि इस देश के पहले प्रधान मंत्री नेहरू जी द्वारा भी कुछ वैसा ही कहा गया था ।
इस मुकदमें में चलि सुनवाई के दौरान मुख्य रूप से 5 तर्क दिए गए थे जिसका वर्णन निम्न है ।
पहला कुतर्क
1) गाय जब बूढ़ी हो जाती है तो उसे बचाने मे कोई लाभ नहीं उसे कत्ल करके बेचना ही बढ़िया है । ऐसा करके हम भारत की अर्थ व्यवस्था को और मजबूत बना रहे हैं, क्यूंकि गाय का मांस एक्सपोर्ट होता है और बदले में देश को भारी विदेशी मुद्रा मिलती है ।
दूसरा कुतर्क
2) भारत मे गाय के चारे की भयंकर कमी है । गाय भूखी मरे इससे अच्छा ये है कि हम उसका कत्ल करके बेच दें । और उससे कुछ आय कर लें ।
तीसरा कुतर्क
3) भारत मे लोगो को रहने के लिए जमीन नहीं है, फिर गाय को कहाँ रखें ? भारत में गरीबी एक गंभीर समस्या है और लोगों के रहने के लिए घर या जगह कि ब्यवस्था करना सबसे पहला कर्तव्य ।
चौथा कुतर्क
4) इससे देश को विदेशी मुद्रा मिलती है, फलस्वरूप देश का मुद्रा भंडार बढ़ता है जिससे देश की आर्थिक इस्थिति मजबूत होती है ।
पांचवा और अंतिम कुतर्क
5) सबसे खतरनाक कुतर्क जो कसाइयों की तरफ से दिया गया, वह यह है कि गाय की ह्त्या ( Cow Slaughter ) करना हमारे धर्म इस्लाम मे लिखा हुआ है । इस्लाम कहता है कि हम गायों की ह्त्या करें । यानि कि इस्लाम के अनुसार गाय की हत्या करना मुसलमानों का धार्मिक अधिकार है ।
इससे पहले कि इस मुकदमें की और पेचंदगीओं की तरफ हम आगे बढे, आइये पहले जानें कि मुकदमें के मुख्य पैरवीकार ये कसाई कहे जाने वाले लोग आखिर कौन है ? आइये पहले इनके बारे में थोडा जाने ।
मुसलमानो मे एक खास वर्ग होता है, जिन्हें कुरेशी समाज के नाम से जाना जाता है । सालों से इस वर्ग विशेष के लोग, जानवरों की हत्या करके उनके मांस को बेचने का ब्यवसाय करते आ रहे हैं । इस वर्ग विशेष के लोगों का ऐसे अजीब पेशे का इतिहास भारत में करीब ५०० साल से ७०० साल पीछे तक इंगित किया जा सकता है । तो गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) के पछधर रहें विपकछ विशेष कर कुरैशी समाज द्वारा उपर्युक्त कुतर्क पेश किये गए ।
मुकदमें के सुनवाई के दौरान राजीव भाई नें बिना क्रोध प्रकट किए बहुत ही धैर्य से इन सभी कुतर्को का एक एक करके तर्कपूर्वक जवाब दिया गया था । कोर्ट कि कार्यवाही में ये तर्क बड़ी संजीदगी के साथ आज भी दर्ज हैं ।
उनका पहला कुतर्क कि गाय का मांस बेचने से देश को आमदनी होती है, के जबाब में राजीव भाई ने सारे आंकड़े सुप्रीम कोर्ट मे रखे कि एक गाय को जब काट देते हैं तो उसके शरीर मे से कितना मांस निकलता है? कितना खून निकलता है? कितनी हड्डियाँ निकलती हैं? इन सबका विवरण दर्ज कराया गया था ।
एक सव्स्थ गाय का वजन 3 से साढ़े तीन कवींटल का होता है उसे जब काटे तो उसमे से मात्र 70 किलो मांस निकलता है एक किलो गाय का मांस जब भारत से export होता है तो उसकी कीमत है लगभग 50 रुपए । तो 70 किलो का 50 से गुना को । 70 x 50 = 3500 रुपए ।
खून जो निकलता है वो लगभग 25 लीटर होता है । जिससे कुल कमाई 1500 से 2000 रुपए होती है । फिर हड्डियाँ निकलती है वो भी 30-35 किलो हैं । जो 1000 -1200 के लगभग बिक जाती है ।। तो कुल मिलकर एक गाय का जब कत्ल करे और मांस ,हड्डियाँ खून समेत बेचें तो सरकार को या कत्ल करने वाले कसाई को 7000 रुपए से ज्यादा नहीं मिलता ।।
फिर राजीव भाई द्वारा कोर्ट के सामने उल्टी बात रखी गई यही गाय को कत्ल न करे तो क्या मिलता है ??? हमने कत्ल किया तो 7000 मिलेगा और अगर इसको जिंदा रखे तो कितना मिलेगा ?? तो उसका calculation ये है ।
एक सव्स्थ्य गाय एक दिन मे 10 किलो गोबर देती है और ढाई से 3 लीटर मूत्र देती है । गाय के एक किलो गोबर से 33 किलो fertilizer (खाद ) बनती है ।जिसे organic खाद कहते हैं तो कोर्ट के जज ने कहा how it is possible ??
राजीव भाई द्वारा कहा गया आप हमे समय दीजिये और स्थान दीजिये हम आपको यही सिद्ध करके बताते हैं । तो कोर्ट ने आज्ञा दी तो राजीव भाई ने उनको पूरा करके दिखाया ।। और कोर्ट से कहा की आई. आर. सी. के वैज्ञानिक को बुला लो और टेस्ट करा लो ।।। तो गाय का गोबर कोर्ट ने भेजा टेस्ट करने के लिए । तो वैज्ञानिको ने कहा की इसमें 18 micronutrients (पोषक तत्व )है ।जो सभी खेत की मिट्टी को चाहिए जैसे मैगनीज है । फोस्फोरस है । पोटाशियम है, कैल्शियम, आयरन, कोबाल्ट, सिलिकोन , आदि आदि | रासायनिक खाद मे मुश्किल से तीन होते हैं । तो गाय का खाद रासायनिक खाद से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है । आखिर में इस बात को कोर्ट ने भी मान लिया ।
राजीव भाई ने कहा अगर आपके र्पोटोकोल के खिलाफ न जाता हो तो आप चलिये हमारे साथ और देखे कहाँ – कहाँ हम 1 किलो गोबर से 33 किलो खाद बना रहे हैं राजीव भाई ने कहा मेरे अपने गाँव मे मैं बनाता हूँ । मेरे माता पिता दोनों किसान है पिछले 15 साल से हम गाय के गोबर से ही खेती करते हैं । अगर 1 किलो गोबर है तो उससे 33 किलो खाद बनता है । और 1 किलो खाद का जो अंराष्ट्रीय बाजार मे भाव है वो 6 रुपए है । तो रोज 10 किलो गोबर से 330 किलो खाद बनेगी । जिसे 6 रुपए किलो के हिसाब से अगर बेचें तो हमें 1800 से 2000 रुपए रोज का गाय के गोबर से मिलता है ।
और गाय के गोबर देने मे कोई Sunday नहीं होता, कोई Weekly Off नहीं होता । हर दिन मिलता है । तो साल मे कितना होगा ??? 1800 का 365 से गुना कर लो । 1800 x 365 = 6,57,000 रुपए साल का । अगर गाय की समान्य उम्र 20 साल है और वो जीवन के अंतिम दिन तक गोबर देती है, तो 1800 गुना 365 गुना 20 कर लो आपको 1 करोड़ से ऊपर ही आपको मिल जाएगा गाय के सिर्फ गोबर से ही ।
राजीव भाई द्वारा इस संबंद्ध में हजारो लाखों वर्ष पहले से प्रचलित हमारे शास्त्रो मे लिखा है कि गाय के गोबर मे लक्ष्मी जी का वास है इसे लेकर जीरह की गई और उसे अछरसः सिद्ध किया गया । यह अलग बात है कि मेकाले के मानस पुत्र जो आधुनिक शिक्षा से पढ़ कर निकले हैं जिनहे अपना धर्म, संस्कृति – सभ्यता सब पाखंड ही लगता है और जो हमेशा इस बात का मज़ाक उड़ाते है कि हाहाहाः हाहा गाय के गोबर मे लक्ष्मी । राजीव भाई द्वारा कोर्ट में यह बक्तव्य उन सबके मुंह पर एक तमाचा सिद्ध हुवा और कोर्ट ने भी मान लिया कि गाय के गोबर से खेती कर , अनाज उत्पादन कर धन कमाया जा सकता है और पूरे भारत का पेट भरा जा सकता है ।
कोर्ट में अपनी बात को रखते हुवे राजीव भाई ने कहा कि अब बात करते हैं मूत्र की, जो रोज का एक गाय देती है करीब दो सवा दो लीटर तक। गोमूत्र से ओषधियाँ बनती है, Diabetes, Arthritis, Bronchitis, Bronchial Asthma, Tuberculosis, Osteomyelitis आदि ऐसे करके 48 रोगो की ओषधियाँ बनती है । और गाय के एक लीटर मूत्र का बाजार मे दवा के रूप मे कीमत 500 रुपए है । वो भी भारत के बाजार मे । अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे तो इससे भी ज्यादा है । उन्होंने तर्क दिया कि अमेरिका मे गौ मूत्र patent हैं । और अमरीकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र import करती है और उससे कैंसर की medicine बनाते हैं ।। diabetes की दवा बनाते हैं । और अमेरिका मे गौ मूत्र पर एक दो नहीं तीन patent है । अमेरिकन market के हिसाब से calculate करे तो एक लीटर गोमूत्र कि कीमत 1200 से 1300 रुपए प्रति लीटर बैठता है । यानि कि एक गाय के मूत्र से लगभग रोज की 3000 रुपये की विशुद्ध आमदनी ।
यानि कि एक साल का 3000 x 365 =10,95,000 रुपये ।
और 20 साल का 300 x 365 x 20 = 2,19,00,000 रुपये।
अपनी जीरह को आगे बढ़ाते हुवे राजीव भाई ने बताया कि इतना ही नहीं बल्कि इसी गाय के गोबर से एक गैस निकलती है जिसे मैथेन कहते हैं और मैथेन वही गैस है जिससे आप अपने रसोई घर का सिलंडर चला सकते हैं और जरूरत पड़ने पर गाड़ी भी चला सकते हैं 4 पहियो वाली गाड़ी भी ।
जैसे LPG गैस से गाड़ी चलती है वैसे मैथेन गैस से भी गाड़ी चलती है । तो न्यायधीश महोदय को विश्वास नहीं हुआ । बाद में एक्सपर्ट कि टीम द्वारा राजीव भाई की इस बात का समर्थन किया गया ।
इस संबंद्ध में एक हास्य परिहास की कहानी प्रचलित है । कहते हैं कि राजीव भाई ने जज महोदय से कहा था कि आप अगर आज्ञा दें तो आपकी कार मे मेथेन गैस का सिलंडर लगवा देते हैं और आप खुद चला के संतुस्ट हो जाए । परिहास है कि जज ने इसकी इजाजत दे दी थी और राजीव भाई ने मीथेन गैस किट जज कि गाड़ी में लगवा दिया था जिससे जज साहब ने 3 महीने तक अपनी गाड़ी चलाई थी । और उन्होने कहा था कि “It is really excellent …” ।
राजीव भाई ने अपने जीरह के दरम्यान यह साबित कर दिया था कि मीथेन गैस के द्वारा मात्र 50 से 60 पैसे प्रति किलोमीटर का खर्चा आता है जबकि डीजल से आता है 4 रुपए प्रति किलो मीटर । मेथेन गैस से गाड़ी चले तो धुआँ बिलकुल नहीं निकलता, और प्रदुषण का खतरा नहीं रहता है जबकि डीजल से तो धुआँ ही धुआँ होता है । मेथेन से चलने वाली गाड़ी मे शोर बिलकुल नहीं होता । और डीजल से चले तो इतना शोर होता है कि कान फट जाएँ । तो ये सब तर्क जज साहब की भी समझ मे आ गया था और उन्होंने इसकी प्रशंशा भी की थी ।
मेथेन गैस से होने वाले लाभ का कैलकुलेशन करते हुवे राजीव भाई ने बताया था कि रोज का 10 किलो गोबर एकठ्ठा करे तो एक साल मे कितनी मेथेन गैस मिलती है ? और 20 साल मे कितनी मिलेगी और भारत मे 17 करोड़ गाय है सबका गोबर एक साथ इकठ्ठा करे और उसका ही इस्तेमाल करे तो 1 लाख 32 हजार करोड़ की बचत इस देश को होती है । बिना डीजल, बिना पट्रोल के हम पूरा ट्रांसपोटेशन सिस्टम इससे चला सकते हैं । अरब देशो से भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी और पट्रोल डीजल के लिए अमेरिका से डालर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी । अपना रुपया और मजबूत हो जायेगा ।
इन सारे कैलकुलेशन के साछ्य में सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया था कि गाय की ह्त्या ( Cow Slaughter ) करने से ज्यादा उसको बचाना आर्थिक रूप से अधिक लाभकारी है ।
कोर्ट में केस हाथ से निकलता देख मुस्लिम चरमपंथी और उनके समर्थकों द्वारा अन्तः धार्मिक भावना को ठेस पहुचाने तथा धार्मिक अधिकार की बात रखी गई । क्यूंकि 7000 हजार कि इन्कम के बनस्पति गाय को जिन्दा रखने में करोडो के लाभ की बात अब सामने आ रही थी ।
धार्मिक भावना को ठेस पहुचाने तथा धार्मिक अधिकार कि बात के जबाब में राजीव भाई ने कोर्ट से कहा कि अगर यह इनका धार्मिक अधिकार है तो इतिहास मे पता किया जाय कि किस – किस मुस्लिम राजा ने जब उनका एक छत्र राज्य था तो अपने इस धार्मिक अधिकार का प्रयोग किया था ? कोर्ट ने बात मानते हुवे एक कमीशन बैठाने और हिस्टोरीयन के ओपिनियन लेने कि बात मान ली । कमीशन द्वारा यह बात खोजी जाने लगी कि किस किस राजा ने अपने राज्य में गाय के क़त्ल को बढ़ावा दिया था या उसे अपनी धार्मिक ब्यवस्था के रूप में अपनाया था ?
पुराने दस्तावेज़ जब निकाले गए और खंगाले गए तो उससे पता चला कि भारत मे जितने भी मुस्लिम राजा हुए उनमें से एक ने भी ( Cow Slaughter ) गाय के कत्ल को बढ़ावा नहीं दिया था । इसके उल्टा कुछ राजाओ ने गायों के कत्ल के खिलाफ कानून बनाए थे । उनमे से एक का नाम था बाबर । बाबर ने अपनी पुस्तक बाबर नामा मे लिखा है कि मेरे मरने के बाद भी गाय के कत्ल का कानून जारी रहना चाहिए । तो उसके पुत्र हुमायु ने भी उसका पालन किया और उसके बाद जितने मुगल राजा हुए सबने इस कानून का पालन किया यहाँ तक कि परम चरम पंथी ओरंगजेब ने भी ।
इस सन्दर्भ में दक्षिण भारत के एक राजा था हेदर अली की चर्चा भी छिड़ी जो टीपू सुल्तान का बाप था । इतिहासकारों ने इस साछ्य को उजागर किया कि हैदर अली ने एक कानून बनवाया था कि अगर कोई गाय की ह्त्या ( Cow Slaughter ) करेगा तो हैदर उसकी गर्दन काट देगा और हैदर अली ने ऐसे सेकड़ो कसाइयों की गर्दन गाय की हत्या के अपराध के चलते काटी थी ।इतिहासकारों ने यह साछ्य भी प्रस्तुत किया कि हैदर अली का बेटा टीपू सुलतान ने अपने शाशन काल में इस अपराध की सजा को थोड़ा हल्का करते हुवे यह कानून बनाया था कि गर्दन काटने कि जगह हाथ काटा जा सकता है । तो टीपू सुलतान के समय में कोई भी अगर गाय काटता था तो उसका हाथ काट दिया जाता था |
तो ये जब दस्तावेज़ जब कोर्ट के सामने आए तो राजीव भाई ने जज साहब से कहा कि आप जरा बताइये अगर इस्लाम मे ( Cow Slaughter )गाय को कत्ल करना धार्मिक अधिकार होता तो बाबर तो कट्टर ईस्लामी था 5 वक्त की नमाज पढ़ता था हमायु भी था ओरंगजेब तो सबसे ज्यादा कट्टर था । तो इनहोने क्यूँ नहीं गाय का कत्ल करवाया और क्यूँ ? गाय का कत्ल रोकने के लिए कानून बनवाए ??? क्यूँ हेदर अली ने कहा कि वो गाय का कत्ल करने वाले के हाथ काट देगा ??
तो राजीव भाई ने कोर्ट से कहा कि आप हमे आज्ञा दें तो हम ये कुरान शरीफ ,हदीस,आदि जितनी भी पुस्तके है हम ये कोर्ट मे पेश करते हैं और कहाँ लिखा है गाय का कत्ल करो ये जानना चाहतें है । और आपको पता चलेगा कि इस्लाम की कोई भी धार्मिक पुस्तक मे नहीं लिखा है की गाय का कत्ल ( Cow Slaughter ) करो ।
हदीस मे तो कहते हैं कि साफ़ साफ़ लिखा हुआ है कि गाय की रक्षा करो क्यूंकि वो तुम्हारी रक्षा करती है । पेगंबर मुहमद साहब भी कहते हैं कि गाय अबोल जानवर है इसलिए उस पर दया करो । और एक जगह लिखा है गाय का कत्ल करोगे तो दोझक मे भी जमीन नहीं मिलेगी ।मतलब जहनुम मे भी जमीन नहीं मिलेगी ।
तो राजीव भाई ने कोर्ट से कहा अगर कुरान ये कहती है मुहम्मद साहब ये कहते हैं हदीस ये कहती है तो फिर ये गाय का कत्ल ( Cow Slaughter ) कर धार्मिक अधिकार कब से हुआ ?? पूछो इन कसाईयो से ?? तो कसाई बोखला गए । राजीव भाई ने अपनी बात को और भी दमदार रूप से रखते हुवे कहा था कि मक्का मदीना या कहीं और भी मुस्लिम देश में किसी किताब में हवाला दिया गया है तो उसे वे लोग पेश करें ।
अंततः कोर्ट ने कुरैशी समुदाय और अन्य पैरवीकारों को एक महीने का समय दिया कि जाओ और अपनी बात के समर्थन में कोई दस्तावेज़ या सबूत ढूंढ के लाओ जिसमे लिखा हो ( Cow Slaughter ) गाय का कत्ल करना इस्लाम का मूल अधिकार है । जब एक महीने के समय सीमा में भी कोई दस्तावेज़ नहीं पेश किया गया तो कोर्ट ने कहा अब हम ज्यादा समय नहीं दे सकते । और अंततः 26 अक्तूबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस बावत अपनी जजमेंट सुनाया गया ।
यह ६६ पन्ने का जजमेंट है, सुप्रीम कोर्ट ने इस जजमेंट के जरिये यह घोषणा की कि गाय को काटना एक धार्मिक पाप है और यह एक सांविधानिक पाप भी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में आगे कहा है कि गौ रक्षा करना, सभी धर्मों को मानने वालों का तथा देश के प्रत्येक नागरिक का एक सांविधानिक कर्त्तव्य है । सरकार का तो यह कर्तव्य है ही नागरिकों का भी सांविधानिक कर्तव्य है । अब तक जो संविधानिक कर्तव्य थे जैसे कि, संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, शहीदों का सम्मान करना, देश की एकता, अखंडता को बनाए रखना आदि आदि । सुप्रीम कोर्ट के इस जजमेंट के बाद अब से नागरिकों के कर्तव्य में, एक और कर्तव्य जुड़ गया है और वह है कि भारत में गौ की रक्षा करना ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के सभी 34 राज्यों की सरकारों की यह जिम्मेवारी है कि वो गाय का क़त्ल ( Cow Slaughter ) अपने अपने राज्यों में यथाशीघ्र बंद कराये और किसी भी राज्य में गाय का अगर क़त्ल होता है तो यह उस राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेंदारी, राज्यपाल की जावबदारी तथा चीफ सेकेट्री की जिमेदारी माना जायेगा कि वो अपना काम पूरा नहीं कर रहे है । अतः सुप्रीम कोर्ट के इस जजमेंट के बाद गायों के क़त्ल को रोकना, यह राज्यों के लिए सांविधानिक जवाबदारी तथा नागरिको के लिए सांविधानिक कर्त्तव्य बन गया है ।
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि गोहत्या से सम्बंधित देश के महानतम न्याय तंत्र से निर्णय आ जाने के बाद भी अब भी भारत में गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) पर पूर्णतः प्रतिबन्ध नहीं लग पाया है । ऐसा ना हो पाने के पीछे दो कारण हैं । गाय की हत्या पर पुर्णतः प्रतिबन्ध के लिए कानून का अब भी ना हो पाना । देश में कोई भी कानून दो स्तर पर बनाये जा सकते हैं । एक जो केद्र सरकार बना सकती है, और दुसरे जो राज्य सरकारें बना सकती है । अगर केंद्र सरकार यह कानून बना देती है तो वह सभी राज्यों में अपने आप ही लागू हो जाता है । यह देश का दुर्भाग्य है कि अब तक की केंद्र कि सरकारें अपनी राजनितिक महत्वकांछा की परिपूर्ति के लिए ऐसा नहीं कर पाई है । ऐसे में बहुसंख्यक नागरिकों के पास बस एक ही तरीका बचता है कि वो अपने राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार पर इस कानून को लाने के लिए दबाव बनाये ।
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आने के बाद हालाकि कि भारत के अधिकतर राज्यों द्वारा गाय की हत्या ( Cow Slaughter ) पर किसी न किसी तरह की रोक की कोशिशे जरूर कि गई है लेकिन अब भी पूर्वोत्तर के कुछ ऐसे राज्य हैं जहाँ गो हत्या रोकने के लिए किसी भी प्रकार का कोई कानून नहीं है और इन राज्यों में गो हत्या धड़ल्ले से होती है । इन राज्यों में केरल, पश्चिम बंगाल, अरुणांचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड , त्रिपुरा और सिक्किम मुख्य हैं ।
तो आइये मित्रों !! अब हम हजारो लाखो की संख्या मे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखें और उनसे बस इतना ही कहें कि 26 अक्तूबर 2005 को जो सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आया है उसे तत्काल प्रभाव से लागू करो और इसके लिए उचित कानून बनायें । हर एक नागरिक का कर्तव्य बनता है कि आप अपने आस – पड़ोस, गली गाँव, मुहल्ला, शहर मे लोगो से बात करनी शुरू करे, उनको गाय के महत्व के बारे में समझाये । देश के लिए गाय का क्या आर्थिक योगदान है उसके बारे में बताएं । और अंततः देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर उनसे तुरन कानून बनाने का निवेदन करें । प्रजातंत्र में आम आदमी कि भावना का निरादर नहीं किया जा सकता है । अतः हम सब मिल कर सच्चा प्रजातंत्र लाये ।