असली गौभक्त इसी गाँव के लोग है पूरे देश मे 3 करोड़ 32 लाख 50 हजार एकड़ गोचर भूमि (चारागाह) की ज़मीन इसका 2 गुना ज़मीन पंचायती भी है। अगर इन दोनों ज़मीनों पर सभी गाँव के लोग घास उगा दे और फलदार पेड़ लगा दे। तो पूरे देश का कुपोषण खत्म हो जायेगा। ये काम सरकार भी सरकारी ज़मीनों पर जंगलो में फलदार पेड़ लगाकर औए घास उगाकर जंगल के अंदर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों दोनों जानवरो को बचा सकती है। लेकिन न ये काम सरकार करेगी न गाँव वाले करेगे। महँगा चारा होने का रोना रो लेगे और भूखमरी बेरोजगारी और कुपोषण का रोना रो लेंगे। किसी भी जानवर को फ़सल खाने पर डंडे से पीटते हैं फसल बचाने के लिये बिजली के तारो से घेराव करते है। कितनी बार खुद भी मर जाते है। कितनी बार जानवर मर जाते हैं । लेकिन जानवर कैसे जिंदा बचे इस दिशा में कोई प्रयास नही करते है। कुछ समझदार लोग गौशाला बनाते है गाय बचाने के लिये लेकिन गाय फिर सड़क पर कम नही होती। क्योंकि जितनी गाय गौशाला में होती है उसका कई गुना हर साल नया पैदा हो जाती है। इसलिए दिन प्रतिदिन गौशालाओं की संख्या बढ़ने का सिलसिला जारी है। लेकिन गौवंश के पालन की समस्या जस की तस बनी हुई है। कई जगह सरकार खुद गौशाला बना दे रही है
लेकिन उनकी सही से देखभाल न होने बजह से लाखों गौवंश गौशाला में ऐसे ही मर जाते है। क्योंकि इन गौशालाओं में जगह कम है और गौवंश ज्यादा है। इस दशा में कुछ गौवंश तो चारा खा लेते है और कुछ कमजोर होने की बजह चारा खा ही नही पाते। इसके कारण गौवंश की सेवा के नाम पर सिर्फ नूराकुश्ती हो रही है। गाय सहित सभी जीव बचेंगे चारागाह और जंगल से। लेकिन न जनता ही इस पर ध्यान दे रही न ही सरकार। अब तो भगवान ही आकर गौवंश को भूखा मरने से बचा सकते है।
#देशी_आंदोलन
देशी अपनाओ देश बचाओ
जयहिंद
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