गैय्या मैय्या की आरती
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।।
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।।
जहाँ ते प्रकट भई सृष्टि, करें नित पञ्चगव्य वृष्टि, सकल पर रखती सम दृष्टि,
जीवन में रँग, जीने का ढँग, बतातीं बात बधैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
जीवन में रँग, जीने का ढँग, बतातीं बात बधैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
तुम्हीं हो अमृत की नाभि, समन करती हो विष का भी, तुम्हारी मूरत ममता की।
तुम्हारी झलक रहे न अलग, चले पथ नाग नथैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
तुम्हारी झलक रहे न अलग, चले पथ नाग नथैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
तुम्हीं से संभव है खेती, सभी के दुखड़े हर लेती, सभी घर आनन्द कर देती।
तुम्हारा गव्य बनावे भव्य, दिव्यता आवे हैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
तुम्हारा गव्य बनावे भव्य, दिव्यता आवे हैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
भागवत गान तुम्हीं करतीं, तुम्हीं दुःखियों के दुःख हरतीं, तुम्हीं से सुखी है ये धरती।
तुम्हीं हो सन्त, करो दुःख अन्त, शरण वैतरणी खिवैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
तुम्हीं हो सन्त, करो दुःख अन्त, शरण वैतरणी खिवैय्या की…दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
आरती गैय्या मैय्या की, दुलारी कृष्ण कन्हैय्या की।
No comments:
Post a Comment