Saturday, March 23, 2019

देसी गाय के गोबर से बनाते हैं वातानुकूलित घर, खर्चा सीमेंट से 7 गुना कम

देसी गाय के गोबर से बनाते हैं वातानुकूलित घर,  खर्चा सीमेंट से 7 गुना कम

https://www.gaonconnection.com/badalta-india/haryana-dr-shiv-darshan-malik-indigenous-cow-cow-dung-vedic-stucco-daya-kishan-shokin-new-delhi

अगर आपको कम लागत का एक ऐसा घर बनाना है जो वातानुकूलित हो तो आप हरियाणा के डॉ शिवदर्शन मलिक से मिलें। इन्होंने देसी गाय के गोबर से एक ऐसा 'वैदिक प्लास्टर' बनाया है जिसका प्रयोग करने से गांव के कच्चे घरों जैसा सुकून मिलेगा। दिल्ली के द्वारिका के पास छावला में रहने वाले डेयरी संचालक दया किशन शोकीन ने डेढ़ साल पहले इस गाय से बने प्लास्टर से अपना घर बनवाया था। ये गांव कनेक्शन संवादाता को फोन पर बताते हैं, "इस तरह के बने मकान से गर्मियों में हमें एसी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर बाहर का तापमान 40 डिग्री है तो इसके अन्दर 28-31 तक ही रहता है। दस रुपए स्क्वायर फिट इसका खर्चा आता है जो सीमेंट के खर्च से छह से सात गुना कम होता है।" वो आगे बताते हैं, "इस मकान के जितने फायदे बताए कम हैं, इस तरह के मकान के बाद बने फर्श से गर्मियों में नंगे पैर घर में ही टहलने से पैरों को ठंडक मिलती है। हमारे शरीर के अनुसार तापमान मिलता है। बिजली की बचत होती है, शहरों में गांव जैसी कच्ची मिट्टी के पुराने घर इस गाय के प्लास्टर से बनना सम्भव है।"

किशन शोकीन की तरह भारत में 300 सौ से ज्यादा लोग देसी गाय के वैदिक प्लास्टर से घर बना रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का असर हमारे घरों में भी पड़ता है। पहले मिट्टी के बने कच्चे घरों में ऊष्मा को रोकने की क्षमता थी। ये कच्चे मकान सर्दी और गर्मी से बचाव करते थे लेकिन बदलते समय के साथ ये कच्चे मकान अब व्यवहारिक नहीं हैं। पक्के मकानों को कैसे कच्चा बनाया जाए जिसमें ऊष्मा को रोकने की क्षमता हो इसके लिए दिल्ली से 70 किलोमीटर दूर रोहतक में रहने वाले डॉ शिवदर्शन मलिक ने लम्बे शोध के बाद देसी गाय का एक ऐसा 'वैदिक प्लास्टर' बनाया जो सस्ता होने के साथ ही गर्मी में ठंडा और सर्दी में गर्म रखता है।डॉ शिवदर्शन मलिक ने रसायन विज्ञान से पीएचडी करने के बाद आईआईटी दिल्ली, वर्ल्ड बैंक जैसी कई बड़ी संस्थाओं में बतौर सलाहकार कई वर्षों तक काम किया है। इस दौरान कई जगह भ्रमण के दौरान कच्चे और पक्के मकानों का फर्क महसूस किया और तभी इसकी जरूरत महसूस की।

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