दूध दही वाले देश के किसानों को चौपट करेंगे अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट
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Home > देश > दूध दही वाले देश के किसानों को चौपट करेंगे अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट दूध दही वाले देश के किसानों को चौपट करेंगे अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट by: Diti Bajpai Published: 29 Dec 2018 Updated:29 Dec 2018 लुधियाना/लखनऊ। मिल्क पाउडर के स्टॉक से डेयरी किसान और डेयरी इंडस्ट्री उभर नहीं पाई, उन्हीं पशुपालकों के लिए एक और मुसीबत आने वाली है। अमेरिका में बने डेयरी उत्पादों को भारत में आयात किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से देश के सात करोड़ डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट के आयात को देश के किसानों, और कारोबारियों के लिए घातक बताते हुए इस सेक्टर से जुड़े लोगों ने विरोध शुरु कर दिया। इकनोमिक्स टाइम में छपी खबर के मुताबिक अमेरिका से डेयरी प्रॉडक्ट्स के आयात को भारत अनुमति देने के लिए तैयार है। शुरू में यह करोबार 700 करोड़ डॉलर का होगा। ये ख़बर इसलिए भी परेशान करने वाली हैं क्योंकि पंजाब से लेकर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश तक के किसान लगातार ये आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें लागत के मुताबिक दूध का रेट नहीं मिलता। दूध की कीमतों लेकर पिछले वर्षों में कई आंदोलन भी हुए हैं।
देश के प्रख्यात खाद्य एवं निर्यात नीति के जानकार देविंदर शर्मा ट्विटर लिखा, "मुझे समझ नहीं आ रहा है, भारत अमेरिका की मदद को क्यों तैयार है जबकि उसके खुद के किसान दूध के रेट को लेकर परेशान हैं।'
दूध दही के प्रदेश कहे जाने वाले हरियाणा-पंजाब में किसानों की बेहतरी के लिए काम कर रहे खाद्य वैज्ञानिक कमलजीत सिंह फोन पर बताते हैं, ''देश के पशुपालक पहले से ही नकली दूध से परेशान हैं। ऐसे में बाहर से डेयरी प्रोडक्ट आएंगे तो उनकी परेशान बढ़ेगी। सरकारें इसे बिजनेस के तौर पर इसको देख रही हैं, लेकिन इस फैसले से भारत में दूध का करोबार चौपट हो जाएगा।'' आयात के फैसले के दूरगामी नुकसान गिनाते हुए कमलजीत कहते हैं, "एक अनुमान 60-65 करोड़ लीटर रोजाना की दूध की खपत है, अभी इसका आधा हिस्सा पाउडर से पूरा किया जाता हैं। जिससे किसानों को दाम नहीं मिलते हैं। बाहरी उत्पाद आने से बड़े स्तर के किसान भी इस व्यवसाय को छोड़ देंगे।' कमलजीत जिस मिल्क पाउडर की बात कर रहे हैं, ये वही पाउडर है जो कुछ साल पहले डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देशों से मंगवाया गया था, पाउडर से दूध बनाना सस्ता पड़ता है लेकिन इससे देसी दुग्ध उत्पादकों पर खासा असर पड़ा।
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